SANSKAR AUR BHAVNA 1. ekanki mein vijateey vivah kii samasya ko kis prakaar uthaya gaya hein? vijatiy vivah par apne vichaar dijiye??
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विष्णु प्रभाकर हिन्दी के सुप्रसिद्ध लेखक के रूप में विख्यात हुए। उनका जन्म उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के गांव मीरापुर में हुआ था। उनके पिता दुर्गा प्रसाद धार्मिक विचारों वाले व्यक्ति थे और उनकी माता महादेवी पढ़ी-लिखी महिला थीं जिन्होंने अपने समय में पर्दा प्रथा का विरोध किया था। उनकी पत्नी का नाम सुशीला था। विष्णु प्रभाकर की आरंभिक शिक्षा मीरापुर में हुई। बाद में वे अपने मामा के घर हिसार चले गये जो तब पंजाब प्रांत का हिस्सा था। घर की माली हालत ठीक नहीं होने के चलते वे आगे की पढ़ाई ठीक से नहीं कर पाए और गृहस्थी चलाने के लिए उन्हें सरकारी नौकरी करनी पड़ी। चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के तौर पर काम करते समय उन्हें प्रतिमाह १८ रुपये मिलते थे, लेकिन मेधावी और लगनशील विष्णु ने पढाई जारी रखी और हिन्दी में प्रभाकर व हिन्दी भूषण की उपाधि के साथ ही संस्कृत में प्रज्ञा और अंग्रेजी में बी.ए की डिग्री प्राप्त की। विष्णु प्रभाकर पर महात्मा गाँधी के दर्शन और सिद्धांतों का गहरा असर पड़ा। इसके चलते ही उनका रुझान कांग्रेस की तरफ हुआ और स्वतंत्रता संग्राम के महासमर में उन्होंने अपनी लेखनी का भी एक उद्देश्य बना लिया, जो आजादी के लिए सतत संघर्षरत रही।
प्रमुख रचनाएँ
सत्ता के आर-पार, हत्या के बाद, नवप्रभात, डॉक्टर, प्रकाश और परछाइयाँ, बारह एकांकी, अब और नही, टूट्ते परिवेश, गान्धार की भिक्षुणी, और अशोक आदि।
शीर्षक की सार्थकता –
संस्कार और भावना इस कहानी का शीर्षक एकदम सटीक तथा सार्थक है।पूर्ण एकांकी में संस्कारों तथा भावनाओं के मध्य द्वंद्व दर्शाया गया है।एकांकी में परम्परागत संस्कार और मानवीय भावनाओं के बीच के द्वंद्व को अत्यंत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। एकांकीकार ने प्रस्तुत एकांकी के माध्यम से मानव मन का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है। एक भारतीय मध्यमवर्गीय परिवार की माँ अपने पुराने संस्कारों से बद्ध है। यह परिवार परम्पराओं से चली आ रही रूढ़िवादी संस्कारों को ढो रही है और उसकी रक्षा करना अपना परम कर्त्तव्य समझ रही है। इसी कारण माँ अपने बड़े बेटे अविनाश के अंतर्जातीय विवाह को स्वीकार नहीं करती है। अविनाश ने एक बंगाली लड़की से प्रेम-विवाह किया और अपनी पत्नी के साथ घर से अलग रहने लगा है। माँ अपने छोटे बेटे अतुल और उसकी पत्नी उमा के साथ रहती है पर बड़े बेटे से अलग रहना उसके मन को कष्ट पहुँचाता है।
एकांकी का उद्देश्य –
इस एकांकी का उद्देश्य रूढ़िग्रस्त प्राचीन संस्कारों पर आधुनिक विचारों की विजय दर्शाना है । इस एकांकी द्वारा हमें यह सन्देश प्राप्त होता है कि व्यक्ति के मन में उत्पन्न होनेवाली मानवीय भावनाओं के सम्मुख संस्कारों और रूढ़ियों का टिके रहना अत्यंत कठिन है । ऐसे में व्यक्ति का मन संस्कारों और रूढ़ियों दासता से मुक्त होकर निर्मल और कोमल रूप धारण कर लेता है । इस एकांकी का उद्देश्य रहा है कि नयी तथा पुरानी पीढ़ी के विचारों में विभिन्नता तथा संघर्ष दर्शाया जाय।अंत में माँ की ममता प्राचीन रीति रिवाजों तथा परम्पराओं पर विजय प्राप्त करती है।व्यक्ति के जीवन में ममता,स्नेह तथा प्रेम सर्वोपरि है।यही एक सुखी परिवार की नींव है।एकांकीकार अपने उद्देश्य में शत-प्रतिशत सफल रहे हैं।
एकांकी की कथा वस्तु-
एकांकी में परम्परागत संस्कार और मानवीय भावनाओं के बीच के द्वंद्व को अत्यंत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। एकांकीकार ने प्रस्तुत एकांकी के माध्यम से मानव मन का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है। एक भारतीय मध्यमवर्गीय परिवार की माँ अपने पुराने संस्कारों से बद्ध है। यह परिवार परम्पराओं से चली आ रही रूढ़िवादी संस्कारों को ढो रही है और उसकी रक्षा करना अपना परम कर्त्तव्य समझ रही है। इसी कारण माँ अपने बड़े बेटे अविनाश के अंतर्जातीय विवाह को स्वीकार नहीं करती है। अविनाश ने एक बंगाली लड़की से प्रेम-विवाह किया और अपनी पत्नी के साथ घर से अलग रहने लगा है। माँ अपने छोटे बेटे अतुल और उसकी पत्नी उमा के साथ रहती है पर बड़े बेटे से अलग रहना उसके मन को कष्ट पहुँचाता है।
अतुल का चरित्र चित्रण –
अतुल एकांकी का प्रमुख पुरुष पात्र है। वह माँ का छोटा बेटा, अविनाश का अनुज और उमा का पति है। वह प्राचीन संस्कारों को मानते हुए आधुनिकता में यकीन रखने वाला एक प्रगतिशील नवयुवक है। वह माँ का आज्ञाकारी पुत्र होते हुए भी माँ की गलत बातों का विरोध भी करता है। जब माँ अविनाश की पत्नी बीमार पड़ जाती है तब माँ अपने बड़े लड़के के घर जाना चाहती है। उस वक्त अतुल स्पष्ट शब्दों में माँ से कहता है – “यदि तुम उस नीच कुल की विजातीय भाभी को इस घर में नहीं ला सकीं तो जाने से कुछ लाभ नहीं होगा।” अतुल संयुक्त परिवार में विश्वास रखता है। उसमें भ्रातृत्व की भावना है। वह अपने बड़े भाई का सम्मान करता है।
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Answer:
एकांकी में अविनाश का विवाह एक विजातीय बंगाली लड़की से होता है।मां उसकी पत्नी को पुराने रीति-रिवाजों के बंधन में बंधी होने के कारण स्वीकार नहीं कर पाती है l मां अपनी पुरानी परिवार की रूढ़िवादी सोच को ढोती है। लोग विजातीय विवाह को समाज की बुराई के रूप में देखते हैं परंतु यह समाज की बुराई नहीं बल्कि लोगों के सोच में उत्पन्न हुई एक मानसिक बुराई है जिससे हमें खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।ईश्वर ने हम इंसानों की संरचना की है परंतु इंसानों के बीच जात और धर्म का भेदभाव हमारा ही बनाया हुआ है।प्रस्तुत एकांकी में मां की पुरानी रूढ़िवादी सोच में जकड़े होने के कारण अविनाश अपने घर को छोड़कर चला जाता है और पूरा परिवार बिखर जाता है। हमें हमेशा लोगों की अंतरात्मा को देखकर उन्हें पहचानना चाहिए ना कि उनके धर्म या जाति को देख कर।समाज के पिछड़े सोच होने के कारण ही विजातीय विवाह को एक अपराध माना जाता है परंतु हमें इसे हमेशा बढ़ावा देना चाहिए।
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