Sanskrit ka mahatva nibandh in Hindi
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संस्कृत भाषा भारत देश की सबसे प्राचीन भाषा है, इसी से देश में दूसरी भाषाएँ निकली है. सबसे पहले भारत में संस्कृत ही बोली गई थी. आज इसे भारत के 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. उत्तराखंड राज्य की यह एक आधिकारिक भाषा है. भारत देश के प्राचीन ग्रन्थ, वेद आदि की रचना संस्कृत में ही हुई थी. यह भाषा बहुत सी भाषा की जननी है, इसके बहुत से शब्दों के द्वारा अंग्रेजी के शब्द बने है. महाभारत काल में वैदिक संस्कृत का प्रयोग होता है. संस्कृत आज देश की कम बोले जानी वाली भाषा बन गई है, लेकिन इस भाषा की महत्ता को हम सब जानते है, इसके द्वारा ही हमें दूसरी भाषा सीखने बोलने में मदद मिली, इसकी सहायता से बाकि भाषा की व्याकरण समझ में आई.
संस्कृत भाषा बहुत सुंदर भाषा है, ये कई सालों से हमारे समाज को समृद्ध बना रही है. संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति के विरासत का प्रतीक है. यह ऐसी कुंजी है, जो हमारे प्राचीन ग्रंथों में और हमारे धार्मिक-सांस्कृतिक परंपराओं के असंख्य रहस्यों को जानने में मदद करती है. भारत के इतिहास में सबसे अधिक मूल्यवान और शिक्षाप्रद सामग्री, शास्त्रीय भाषा संस्कृत में ही लिखे गए है. संस्कृत के अध्ययन से, विशेष रूप से वैदिक संस्कृत के अध्ययन से हमें मानव इतिहास के बारे में समझने और जानने का मौका मिलता है, और ये प्राचीन सभ्यता को रोशन करने के लिए भी सक्षम है। हाल के अध्ययनों में यह पाया गया है कि संस्कृत हमारे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे अच्छा विकल्प है.
हम दुनिया में विदेशियों के योगदान को बहुत महत्वपूर्ण मानते है, क्यूंकि इन्ही के द्वारा संस्कृत भाषा में निहित साहित्य की जानकारी पूरी दुनिया के सामने आ पाई है. सब 1783 में सर विलियम जॉन ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर कलकत्ता आये थे. वे अंग्रेजी भाषाविद, संस्कृत में विद्वान और एशियाई सोसायटी के संस्थापक थे. उन्होंने कालिदास द्वारा संस्कृत में रचित कहानी ‘अभिज्नना शकुंतला’ एवं ‘रितु संहार’ को अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया था. इसके अलावा कवि जयदेव द्वारा रचित ‘गीता गोविंदा’ व मनु के कानून ‘मनुस्मृति’ को भी इंग्लिश भाषा में परिवर्तित किया
संस्कृत भाषा भारत देश का गौरव है, जिसे बढ़ावा और उसका हक़ मिलना ही चाहिए.
Explanation:
संसार की समस्त प्राचीनतम भाषाओं में संस्कृत का सर्वोच्च स्थान है। विश्व-साहित्य की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद संस्कृत में ही रची गई है। संपूर्ण भारतीय संस्कृति, परंपरा और महत्वपूर्ण राज इसमें निहित है। अमरभाषा या देववाणी संस्कृत को जाने बिना भारतीय संस्कृति की महत्ता को जाना नहीं जा सकता।
संस्कृत भाषा से ही कई भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति हुई है। दूसरे शब्दों में इसे भारतीय भाषाओं की मां माना गया है।
देश-विदेश के कई बड़े विद्वान संस्कृत के अनुपम और विपुल साहित्य को देखकर चकित रह गए हैं। कई विशेषज्ञों ने वैज्ञानिक रीति से इसका अध्ययन किया और गहरी गवेषणा की है। समस्त भारतीय भाषाओं को जोड़ने वाली कड़ी यदि कोई भाषा है तो वह संस्कृत ही है।
भारत के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन एवं विकास के सोपानों की संपूर्ण व्याख्या संस्कृत वाङ्मय में उपलब्ध है।
संस्कृत को देव भाषा कहा जाता है। वेबदुनिया का टीम का यह विनम्र प्रयास है कि इस अति प्राचीन भाषा संस्कृत में रचे श्लोक-सुभाषित-व्याकरण को एक साथ एक स्थान पर प्रस्तुत किया जाए। संस्कृत भाषा के प्रशंसक, विद्वान और विशेषज्ञों से निवेदन है कि भाषा को सहेजने और संवारने के इस प्रयास में हमारे साथ जुड़ें। जो भी संस्कृत संबंधी विशिष्ट और दुर्लभ ज्ञान हमारे साथ बांटना चाहे उनका स्वागत है।