World Languages, asked by vasugupta423, 10 months ago

Sanskrit ka vaigyanik mahatva​

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Answered by kunalgarg01
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Explanation:

साइंटिस्ट प्रोफेसर डीन ब्राउन, जो फिज़िसिस्ट, संस्कृत स्कॉलर, उपनिषदों और योग सूत्रों के अनुवादक भी हैं, उन्होंने संस्कृत भाषा के वैज्ञानिक आधार के विषय में काफ़ी कुछ कहा है. – उनके अध्ययन व रिचर्स से यह बात सामने आई है कि बहुत-सी विदेशी भाषाएं भी संस्कृत से ही जन्मी हैं, चाहे फ्रेंच हो या अंग्रेज़ी, उनके मूल में कहीं न कहीं सस्कृत ही है.

यही नहीं, बहुत-सी वैदिक धार्मिक मान्यताएं भी पश्‍चिमी सभ्यताओं में देखी जा सकती हैं.

ब्राउन का कहना है कि संस्कृत वैदिक काल में महान चिंतकों और संन्यासियों व ऋषि-मुनियों द्वारा इस्तेमाल की जाती थी. संस्कृत में ऐसे बहुत-से शब्द हैं, जो आपकी मानसिक चेतना को दर्शाते हैं. अन्य भाषाओं में जहां भावनाएं होती हैं, संस्कृत में वहीं चेतना होती है.

हमें जो सबसे महत्वपूर्ण शब्द मिला है वो है ॐ, जो अस्तित्व की आवाज़ है, आंतरिक चेतना है और यह दरअसल ब्रह्मांड की आवाज़ है.

वहीं पूरी तरह से साइंस हैं, जिनमें प्रमुख रूप से यही विचार सर्वोपरी है कि हर मनुष्य के मूल में जो चेतना है, वह है आत्मा. यह आत्मा ब्रह्मांड से अलग नहीं है. इस तरह से संस्कृत के ज़रिए आप ख़ुद को, अपने ब्रह्मांड को पहचान सकते हैं. स्वयं की और अपनी प्राचीन धरोहर की खोज करने का मुख्य ज़रिया है संस्कृत, जिसे भारतीय ख़ुद नज़रअंदाज़ कर रहे हैं और पश्‍चिमी सभ्यता वहीं से प्रेरणा ले रही है.

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