Sanskrit Shlokas related to nature with meaning in hindi
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स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा।
सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम्।।
एक व्यक्ति को जितनी भी सलाह दी जाये उसका मूल स्वाभाव नहीं बदलता। जिस प्रकार उबालने पर पानी गर्म हो जाता है लेकिन बाद में फिर ठंडा हो जाता है।
यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः।
चित्ते वाचि क्रियायांच सधुनामेक्रूपता।।
अच्छे लोग वही बोलते हैं जो उनके मन में होता है। वे जो बोलते हैं वही करते हैं। उनके मन, वचन व कर्म में समानता होती है।
षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तद्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रता।।
छः अवगुणों के कारण मनुष्य का पतन होता है। वे हैं नींद, गुस्सा, भय, तन्द्रा, आलस्य और काम को टालने की आदत।
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