Hindi, asked by tejvirsinghu8851, 11 months ago

Sanvad lekhan on do mahilao ke beech badhte sabjion k daam par baat-cheet

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Answered by Mankuthemonkey01
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राधा :- अरे! मीरा, तुम भी यहां आयी हो?

मीरा :- मैं तो यहां सब्जी लेने आयी थी, और तुम?

राधा :- मैं भी वही लेने आयी हो पर देखो न, सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं।

मीरा :- वो तो है। इतनी महंगाई में घर चलाना भी मुश्किल हो जाता है। और सबसे तेजी से तो आलू प्याज के दाम बढ़ते हैं, जिनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है।

राधा :- टमाटर भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। अब तो सब्जियां भी सोच समझकर लेनी होती है।

मीरा :- बिल्कुल! लेकिन अब तो यही सब लेना ही होगा। उम्मीद है कि सरकार इस महंगाई का कुछ करे।

राधा :- हां। खैर, मैंने तो सब्जियां ले ली, अब घर चलती हूँ। बहुत काम है घर पे।

मीरा :- ठीक है। विदा।

Anonymous: Fabulous answer!
Mankuthemonkey01: thank you
Anonymous: xD kya hindi h waah le xD muja bhi sikha dia hindi.. great answer
Mankuthemonkey01: xD Thanks le
Answered by Gauravgpt36
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बहन नमस्ते! कैसी हो?

अलका – नमस्ते रचना, मैं ठीक हूँ पर महँगाई ने दुखी कर दिया है।

रचना – ठीक कहती हो बहन, अब तो हर वस्तु के दाम आसमान छूने लगे हैं।

अलका – मेरे घर में तो नौकरी की बँधी-बधाई तनख्वाह आती है। इससे सारा बजट खराब हो गया है।

रचना – नौकरी क्या रोज़गार क्या, सभी परेशान हैं।

अलका – हद हो गई है कोई भी दाल एक सौ बीस रुपये किलो से नीचे नहीं है।

रचना – अब तो दाल-रोटी भी खाने को नहीं मिलने वाली।

अलका – बहन कल अस्सी रुपये किलो तोरी और साठ रुपये किलो टमाटर खरीदकर लाई। आटा, चीनी, दाल, चावल मसाले दूध सभी में आग लगी है।

रचना – फल ही कौन से सस्ते हैं। सौ रुपये प्रति किलो से कम कोई भी फल नहीं हैं। अब तो लगता है कि डाक टर जब लिखेगा तभी फल खाने को मिलेगा।

अलका – सरकार भी कुछ नहीं करती महँगाई कम करने के लिए। वैसे जनता की भलाई के दावे करती है। जमाखोरों पर कार्यवाही भी नहीं करती है।

रचना – नेतागण व्यापारियों से चुनाव में मोटा चंदा लेते हैं फिर सरकार बनाने पर कार्यवाही कैसे करे।

अलका – गरीबों को तो ऐसे ही पिसना होगा। इनके बारे में कोई नहीं सोचता।

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