sanyukt parivar ke kisi aise anand ka vistar se varnan kijie jaha aapke parivar ke bacche bujurg upasthit the
Answers
दादा-दादी परिवार के बुजुर्ग एवं सम्मानित सदस्य हैं । परिवार के अन्य सदस्य उनका बहुत आदर करते हैं । उनकी सलाह मानना सभी अपना कर्त्तव्य समझते हैं । दादा जी पहले शिक्षक थे, अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं । वे हम भाई-बहनों को नियमित रूप से पढ़ाते हैं । दादी जी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला हैं तथा उनका अधिकांश समय पूजा-पाठ और ईश्वर- भजन में व्यतीत होता है । फिर भी कुछ समय वे परिवार के लिए भी निकालती हैं । वे माँ और चाची को गृहकार्य में यथासंभव सहयोग देती हैं । माँ और चाची को वे परिवार की बहू नहीं बल्कि अपनी बेटी मानती हैं ।
मेरे पिताजी पेशे से होम्योपैथिक डॉक्टर हैं । शहर में उनका अपना क्लीनिक है जहाँ वे नियमित रूप से जाते हैं । उनकी दवा से मरीजों को बहुत लाभ होता है । मेरे
चाचा जी बिजली विभाग में इंजीनियर हैं । इस तरह मेरे परिवार को अच्छी मासिक आय हो जाती है तथा परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति सरलता से होती है । मेरी माँ और चाची घर का काम-काज सँभालती हैं । हम पाँचों भाई-बहन दो भिन्न विद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं । हम घर पर साथ-साथ पढ़ते और खेलते हैं ।
मेरे परिवार में अनुशासन और शिष्टाचार को पर्याप्त महत्त्व दिया जाता है । छोटे बड़ों का आदर करते हैं और बड़े छोटों को अपना प्यार और स्नेह देते हैं । परिवार के सभी काम प्राय: समय पर होते हैं । खाने, पढ़ने, खेलने और सोने का समय निश्चित है । यदि कोई बीमार पड़ जाए तो अन्य लोग उसकी सेवा में लग जाते हैं । यदि कोई मुसीबत आ जाए तो परिवार एकजुट होकर उस मुसीबत का सामना करता है ।
मेरा परिवार पड़ोसियों के साथ मिल-जुल कर रहता है । हम लोग पड़ोसियों के दु:ख-दर्द में हमेशा सहयोगी बनते हैं । पिताजी पड़ोसियों का मुफ्त इलाज करते हैं । दादा जी पड़ोस के बच्चों को एकत्रित कर उन्हें शिक्षा देते हैं । सामाजिक कार्यों में मेरा परिवार बढ़-चढ़कर भागीदारी करता है । इन गुणों के कारण पड़ोस में मेरे परिवार को उचित आदर प्राप्त होता है । पड़ोसी अपने यहाँ हमारी एकजुटता की मिसाल दिया करते हैं जो हमारे लिए गौरव की बात है
हमारे परिवार में अतिथियों का यथोचित सम्मान किया जाता है । बड़ा परिवार होने के कारण मित्र एवं अतिथि अक्सर आते रहते हैं । उन्हें अतिथि कक्ष में सम्मानपूर्वक बिठाया जाता है । उनकी सुख-सुविधा का भी पूरा ध्यान रखा जाता है । हम लोग ‘ अतिथि देवो भव ‘ की प्राचीन भारतीय अवधारणा को पर्याप्त महत्त्व देते हैं ।
मेरे परिवार में आपसी झगड़े नहीं होते । पड़ोसी परिवार आपस में लड़ता है तो हमें हैरानी होती है । मेरे परिवार में यदि कभी आपसी मतभेद होता भी है तो उसे शांतिपूर्वक सुलझा लिया जाता है । बच्चे किसी बात पर आपस में झगड़ते हैं तो बड़े उनके मतभेद दूर कर दत है । इस तरह आपसी सामंजस्य तथा प्यार से छोटी-छोटी बाधाएँ समाप्त हो जाती त्रेंऐए ।
इस तरह मेरा परिवार एक खुशहाल परिवार है । इस खुशहाली का रहस्य अनुशासन पारिवारिक स्नेह और मर्यादा का पालन है । एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति की भावना परिवार को एक ठोस नींव पर खड़ा किए हुए है । ऐसे परिवार में ही सुख-शांति का निवास संभव है जहाँ एकता की भावना हो । एकता के बल पर मेरे परिवार को कुदृष्टि से देखने का साहस कोई भी नहीं कर सकता ।
अवधारणा परिचय:
जब एक लिंग के बच्चे शादी के बाद अपने माता-पिता के घरों में रहते हैं और अपने जीवनसाथी को अपने साथ रहने के लिए लाते हैं, तो संयुक्त परिवार, जो एकाकी परिवार (माता-पिता और आश्रित बच्चे) का विस्तार होता है, अक्सर फैलता है।
व्याख्या:
मान लें कि, संयुक्त परिवार में कई सुविधाएं हैंl
हमें खोजना है, संयुक्त परिवार सुखी परिवार क्यों हैl
प्रश्न के अनुसार,
आमतौर पर घर के सभी काम तय समय पर पूरे हो जाते हैं। खाने, पढ़ने, खेलने और सोने का समय निर्धारित है। जब कोई अस्वस्थ हो जाता है, तो दूसरे उसे ढूंढते हैं। परिवार किसी भी समस्या से निपटने के लिए एक साथ खड़ा है।हमारे घर में हर कोई आगंतुकों का सम्मान करता है। एक बड़ा परिवार होने के कारण, आगंतुक और मित्र नियमित रूप से आते हैं। वे अतिथि कक्ष में शान से अपना स्थान ग्रहण करते हैं। उनका आराम भी माना जाता है। हम "अतिथि देवो भव" के पारंपरिक भारतीय विचार पर पर्याप्त जोर देते हैं।
मेरे परिवार में कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं है। जब आस-पास के परिवार आपस में बहस करते हैं तो हम चौंक जाते हैं। मेरे परिवार में, विचारों पर किसी भी असहमति को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जाता है। किसी विशेष मुद्दे पर उठे बच्चों के बीच बड़े विवाद सुलझा सकते हैं। इसलिए लोगों के बीच प्रेम और सद्भाव से छोटी-छोटी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
अंतिम उत्तर:
उनकी साझा सहानुभूति के कारण परिवार एक मजबूत नींव रखता है। केवल एक परिवार में जो एकजुट महसूस करता है, वही सच्चा सुख और सद्भाव हो सकता है। मेरे परिवार की एक इकाई के रूप में एक साथ खड़े होने की क्षमता पर सवाल उठाने का साहस किसी में नहीं है।
#SPJ2