सप्रसंग किजिए
मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा,
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मूठ देने लोग कपड़े की लगे,
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी।
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सब प्रसन्न कीजिए मैं झिझक उठा हुआ बेचैन सा लाल होकर आंख दुखने लगी मुंह वोट देने लोग कपड़े की की लगे पर विचार भी दबे पाव भाजी
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hii everyone how are you I think all you are good
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