Hindi, asked by nath68316, 9 months ago

सप्रसंग व्याख्या कीजिए:
(क) मनुष्य का बेड़ा अपने ही हाथ में है, उसे वह चाहे जिधर लगाए।​

Answers

Answered by gargikalmegh1909
5

Answer:

व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता स्वयं ही है।

Answered by franktheruler
0

(क) मनुष्य का बेड़ा अपने ही हाथ में है, उसे वह चाहे जिधर लगाए।

सप्रसंग व्याख्या निम्न प्रकार से की गई है

संदर्भ :

  • प्रस्तुत पंक्तियां " आत्म- निर्भरता " निबंध से ली गई है। इस निबंध के लेखक है आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी।

प्रसंग

  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी इन पंक्तियों में बताते है कि मनुष्य अपने जीवन रूपी नौका को स्वयं ही पार लगा सकता है।

व्याख्या

  • आचार्य शुक्ल जी कहते है कि हमारे भाग्य के लिए हमारे कर्म ही जिम्मेदार है, हम जहां चाहे वहां अपने जीवन रूपी नैया को ले जा सकते है चाहे पार लगाए चाहे उसे मझधार में ही अटका दे।
  • हमें यदि जीवन में अच्छे परिणाम प्राप्त करने है तो हमे अच्छे कर्म करने होंगे। एक अच्छा इंसान बनकर ही हम अपने जीवन की नाव को पार लगा सकते है अन्यथा वह मझधार में ही गोते खाते रह जाएगी।
  • अच्छे कर्म करने के लिए हमें सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना होगा, ईमानदारी से जीवन जीवन निर्वाह करना होगा, सुख व दुख में संयम बनाकर रखना होगा।

#SPJ2

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