Hindi, asked by farhanahmadkhan7278, 4 months ago

sapno ka sa din path ka sanchipt varnan kaksha 10

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Answered by TAMOJITKANTA
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सपनों के-से दिन' पाठ के लेखक 'गुरदयाल सिंह' हैं जिसमें लेखक ने अपने स्कूल के दिनों का वर्णन किया है। लेखक अपनी आत्मकथा के इस अंश में बताते हैं कि बचपन में जब वह और मेरे साथी खेला करते थे तो सभी एक जैसे लगते थे। नंगे पाँव, फटी मैली सी-कच्छी आरै टूटे बटनों वाले कई जगह से फटे उनके कुर्ते और बिखरे बाल।

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