सरोज स्मृति का वर्ण्य विषय क्या है इसे शोक गीत क्यों कहा जाता है
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सरोज स्मृति सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का एक शोक गीत है। जिसमें कवि ने अपनी युवा कन्या सरोज की अकाल मृत्युपर अपने शोक संतप्त हृदय के उद्गार व्यक्त किए हैं। इस प्रसिद्ध लोकगीत में जीवन की पीड़ा और संघर्षों के हलाहल का पान करने वाले कविवर निराला के निजी जीवन के कुछ अंशों का उद्घाटन भी है। छायावादी कवि होने के कारण निराला ने अपनी बात को प्रतीकात्मक शैली में अभिव्यक्त किया है। किंतु अपवाद रूप में लिखी गई सरोज स्मृति जैसे कतिपय रचनाओं में उनकी आत्मचरित्र आत्मक शैली परिलक्षित होती है।
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। वे जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के साथ हिन्दी साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने कई कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेषरुप से कविता के कारण ही है।
सरोज स्मृति का वर्ण्य विषय क्या है इसे शोक गीत क्यों कहा जाता है?
सरोज स्मृति महाकवि निराला द्वारा रचित एक संस्मरण काव्य है, जो उन्होंने अपनी दिवंगत पुत्री से उसकी याद में लिखा है। सरोज स्मृति का वर्ण्य विषय आत्मकथ्य त्रासदी है, जिसमें यातना का भाव है। यह महाकवि निराला के जीवन का आत्मचरित्र भी है।
सरोज स्मृति को शोक गीत इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस कविता काव्य के माध्यम से उन्होंने अपने जीवन के कई त्रासदी वाले पक्षों को उजागर किया है, जिसमें उनके जीवन की प्रमुख त्रासदी उनकी पुत्री सरोज की मृत्यु का है, जिससे वे बेहद स्नेह रखते थे।
सरोज उनकी एकमात्र पुत्री थी। पत्नी की मृत्यु के बाद वह ही उनकी एकमात्र सहारा थी, लेकिन उसकी असमय मृत्यु ने निराला को तोड़ कर रख दिया था, तभी उन्होंने सरोज स्मृति की रचना की। यह एक संतप्त पिता के ह्रदय से निकले उद्गार हैं।
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