Political Science, asked by priyaoberoi557, 5 months ago

सर्वोपरि ता के सिद्धांत से आप क्या समझते हैं​

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Answered by keshav9686
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  • भारतीय परम्परा में सिद्धान्त का अर्थ 'परम्परा' या 'दर्शन' (Doctrine) से है। भारतीय दर्शन में किसी सम्प्रदाय के स्थापित एवं स्वीकृत विचार दर्शन कहलाते हैं।
  • हिन्दू धर्म का इतिहास
  • सिद्धान्त, 'सिद्धि का अन्त' है। यह वह धारणा है जिसे सिद्ध करने के लिए, जो कुछ हमें करना था वह हो चुका है, और अब स्थिर मत अपनाने का समय आ गया है। धर्म, विज्ञान, दर्शन, नीति, राजनीति सभी सिद्धांत की अपेक्षा करते हैं।
  • धर्म के संबंध में हम समझते हैं कि बुद्धि, अब आगे आ नहीं सकती; शंका का स्थान विश्वास को लेना चाहिए। विज्ञान में समझते हैं कि जो खोज हो चुकी है, वह वर्तमान स्थिति में पर्याप्त है। इसे आगे चलाने की आवश्यकता नहीं। प्रतिष्ठा की अवस्था को हम पीछे छोड़ आए हैं, और सिद्ध नियम के आविष्कार की संभावना दिखाई नहीं देती। दर्शन का काम समस्त अनुभव को गठित करना है; दार्शनिक सिद्धांत समग्र का समाधान है। अनुभव से परे, इसका आधार कोई सत्ता है या नहीं? यदि है, तो वह चेतन के अवचेतन, एक है या अनेक? ऐसे प्रश्न दार्शनिक विवेचन के विषय हैं।
  • विज्ञान और दर्शन में ज्ञान प्रधान है, इसका प्रयोजन सत्ता के स्वरूप का जानना है। नीति और राजनीति में कर्म प्रधान है। इनका लक्ष्य शुभ या भद्र का उत्पन्न करना है। इन दोनों में सिद्धांत ऐसी मान्यता है जिसे व्यवहार का आधार बनाना चाहिए।
  • धर्म के संबंध में तीन प्रमुख मान्यताएँ हैं- ईश्वर का अस्तित्व, स्वाधीनता, अमरत्व। कांट के अनुसार बुद्धि का काम प्रकटनों की दुनियाँ में सीमित है, यह इन मान्यताओं को सिद्ध नहीं कर सकती, न ही इनका खंडन कर सकती है। कृत्य बुद्धि इनकी माँग करती है; इन्हें नीति में निहित समझकर स्वीकार करना चाहिए।
  • विज्ञान का काम 'क्या', 'कैसे', 'क्यों'- इन तीन प्रश्नों का उत्तर देना है। तीसरे प्रश्न का उत्तर तथ्यों का अनुसंधान है और यह बदलता रहता है। दर्शन अनुभव का समाधान है। अनुभव का स्रोत क्या है? अनुभववाद के अनुसार सारा ज्ञान बाहर से प्राप्त होता है, बुद्धिवाद के अनुसार यह अंदर से निकलता है, आलोचनावाद के अनुसार ज्ञान सामग्री प्राप्त होती है, इसकी आकृति मन की देन है।
  • नीति में प्रमुख प्रश्न 'नि:श्रेयस का स्वरूप' है। नैतिक विवाद बहुत कुछ भोग के संबंध में है। भोगवादी सुख की अनुभूति को जीवन का लक्ष्य समझते हैं; दूसरी ओर कठ उपनिषद् के अनुसार श्रेय और प्रेय दो सर्वथा भिन्न वस्तुएँ हैं।
  • राजनीति राष्ट्र की सामूहिक नीति है। नीति और राजनीति दोनों का लक्ष्य मानव का कल्याण है; नीति बताती है कि इसके लिए सामूहिक यत्न को क्या रूप धारण करना चाहिए। एक विचार के अनुसार मानव जाति का इतिहास स्वाधीनता संग्राम की कथा है, और राष्ट्र का लक्ष्य यही होना चाहिए कि व्यक्ति को जितनी स्वाधीनता दी जा सके, दी जाए। यह प्रजातंत्र का मत है। इसके विपरीत एक-दूसरे विचार के अनुसार सामाजिक जीवन की सबसे बड़ी खराबी व्यक्तियों में स्थिति का अंतर है; इस भेद को समाप्त करना राष्ट्र का लक्ष्य है। कठिनाई यह है कि स्वाधीनता और बराबरी दोनों एक साथ नहीं चलतीं। संसार का वर्तमान खिंचाव इन दोनों का संग्राम ही है।
Answered by shakingChloe
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Explanation:

Aankhon Ke Panno Pe

Maine Likha Tha Sau Dafaa

Lafzon Mein Jo Ishq Tha

Huya Naa Hothon Se Bayaan

Khud Se Naraaz Hoon

Kyun Be-Aawaaz Hoon

Meri Khamoshiyan Hain Sazaa

Dil Hai Yeh Sochta

Phir Bhi Nahi Pataa

Kis Haq Se Kahun Bataa

Ke Main Hoon Hero Tera

Ke Main Hoon Hero Tera

Ke Main Hoon Hero Tera

Ke Main Hoon Hero Tera

Main Hoon Hero Hero Tera

Raahon Mein Bhi, Har Kadam

Main Tere Saath Chala

Haathon Mein They Ye Haath Magar

Phir Bhi Rahaa Faasla

Seene Mein Hain Chhupe

Ehsaas Pyaar Ke

Bin Kahey Tu Sun Le Zaraa

Dil Hai Yeh Sochta

Phir Bhi Nahi Pataa

Kis Haq Se Kahun Bataa

Ke Main Hoon Hero Tera

Ke Main Hoon Hero Tera

Ke Main Hoon Hero Tera

Ke Main Hoon Hero Tera

Teri Wajah Se Hai Mili

Jeene Ki Sab Khwahishein

Paa Loon Tere Dil Mein Jagah

Hai Yeh Meri Koshishein

Main Bas Tera Banu

Bin Tere Naa Rahun

Maine Toh Maangi Hai Yeh Duaa

Dil Hai Yeh Sochta

Phir Bhi Nahi Pataa

Kis Haq Se Kahun Bataa

Ke Main Hoon Hero Tera

Ke Main Hoon Hero Tera

Ke Main Hoon Hero Tera

Ke Main Hoon Hero Tera

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