सर्वदा सर्वकार्येषु का बलवती
(क) शातिर ख) बुद्धिः (ग) धृतिः (व) मति:
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सर्वदा सर्वकार्येषु बुद्धिर्बलवती (बुद्धिः + बलवती ) ।। व्याख्या - इस प्रकार (वह) बुद्धिमती बाघ से उत्पन्न भय से फिर से मुक्त हो गई । इसीलिए कहा जाता है – हे तन्वि ( कोमलांगि – कोमल अंगोंवाली ) ! हमेशा सभी कामों में बुद्धि (ही) बलवती (शक्तिशाली ) होती है ।
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