सरकार ही शिक्षा है, शिक्षा मानव को मानव बनाती है। आज के भौतिकवादी युग में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सुख पाना रह गया है। अंग्रेजों ने इस देश में अपना शासन व्यवस्थित रूप से पलाने के लिए ऐसा शिक्षा को उपयुक्त समझा किंतु यह विचारधारा हमारी मान्यता के विपरीत है। आज की शिक्षा प्रणाली एकाकी है, उसमें व्यवहारिकता का आभाव और काम के प्रति निष्ठा नहीं है। प्राचीन शिक्षा प्रणाली में अध्यात्मिक एवं व्यवहारिक जीवन की प्रधानता थी। यह शिक्षा केवल नौकरी के लिए ही नहीं, जीवन को सही दिशा प्रदान करने के लिए भी थी। अतः आज के परिवेश में यह आवश्यक हो गया है कि इन दोषों को दूर किया जाए अन्यथा यह दोष हमारे समाजिक जीवन को निगल जाएगा। प्रश्न: 1. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए। गद्यांश का सारांश अपने शब्दों में लिखिए। iii. भौतिकवादी युग से क्या तात्पर्य है ?
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1 शिक्षा।
3 छिछोरा मनुष्य
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