सरस्वती पाठशाला का लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा
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सरस्वती पाठशाला में भर्ती होने के बाद लेखक के मन में राष्ट्रीय राष्ट्रीयता की भावना विकसित हुई। सरस्वती पाठशाला का नाम जब राष्ट्रीय सरस्वती पाठशाला पड़ा तो उसके बाद उसमें से अंग्रेज समर्थक शिक्षक चले गए और राष्ट्रीय चेतना के समर्थक शिक्षकों की संख्या बढ़ने लगी, जिससे सरस्वती पाठशाला का वातावरण राष्ट्रीय चेतना से भरपूर हो गया। आरंभ में लेखक को राष्ट्रीयता की बातें पल्ले नही पड़ती थीं, लेकिन धीरे-धीरे उसे राष्ट्रीयता की समझ आने लगी। वो शिक्षकों द्वारा सिखाये अनुशासन का भी पालन करने लगा। गांधी टोपी पहने वाले राष्ट्रीयता के भाव से भरे हुए शिक्षक छात्रों के मन में देश प्रेम की भावना भरते थे। लेखक के मन पर भी सरस्वती पाठशाला के इन संस्कारों की छाप पड़ी। जिनकी याद सरस्वती पाठशाला छोड़ने के उपरांत भी लेखक को लंबे समय तक याद रही।
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