sarvajanik hospital ke bare mein 8 se 10 vakhe
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गरीबों को इलाज के स्थान पर तकलीफ ही मिलती है । सार्वजनिक अस्पतालों में समय पर डॉक्टर भी नहीं मिलते । डॉक्टर यदि मिले तो दवाइयां नहीं मिलती । इसीलिए मरीजों को महंगे दामों पर बाहर से दवाइयां खरीदने को बाध्य होना पड़ता है।
Answer:
अस्पताल तो अस्पताल होता है वह चाहे सार्वजनिक हो या निजी अस्पताल हो अस्पताल अच्छा होना या बुरा होना वह चिकित्सक पर निर्भर होता है कि चिकित्सक आप का इलाज किस तरह से करता है किस ढंग से करता है वैसे देखा जाए तो बहुत से लोग पैसा होने के कारण प्राइवेट अस्पताल ही जाते हैं और वही कोई गरीब लोग हो तो उन्हें सार्वजनिक अस्पताल जाना ही होता है क्योंकि बीच आता है पैसा गरीब लोग प्राइवेट अस्पताल की फीस नहीं दे सकते इसलिए वह सार्वजनिक अस्पतालों में जाते हैं और सार्वजनिक अस्पताल की है खास बात है कि अगर कोई दुर्घटना हो जाए मरीज के साथ तो सार्वजनिक अस्पताल वाले मरीज को कभी वापस नहीं भेजते जबकि निजी अस्पतालों में पेशेंट को वापस भेज दिया जाता है या फिर वहां से सार्वजनिक अस्पताल में ट्रांसफर किया जाता है यह निजी मामला है निजी विचार है कि लोग किस अस्पताल में जाना पसंद करते हैं
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