sarvashiksha abhiyan essay in hindi with sanket bindu---
-shiksha kyu aavakshyak
-desh mein shiksha ki isthti
-nirsharta se nipatne ke upay
-abhiyan ka sanchalan
-abhiyan ki safalta
- upsanhar
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शिक्षा की आवश्यकता---- बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। यह आत्मविश्वास विकसित करती है और एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में मदद करती है। स्कूली शिक्षा सभी के जीवन में महान भूमिका निभाती है। पूरे शिक्षा तंत्र को तीन भागों में बाँटा गया है जैसे; प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्च माध्यमिक शिक्षा। सभी शिक्षा के भाग अपना एक विशेष महत्व और लाभ रखते हैं। प्राथमिक शिक्षा विद्यार्थियों को आधार प्रदान करती है, जो जीवनभर मदद करती है, माध्यमिक शिक्षा आगे की पढ़ाई का रास्ता है और उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरे जीवन में, भविष्य में आगे बढ़ने का रास्ता है। हमारी अच्छी और बुरी शिक्षा यह निर्धारित करती है कि हम भविष्य में किस प्रकार के व्यक्ति बनेगें।इस प्रतियोगी संसार में, सभी के लिए शिक्षा प्राप्त करना बहुत आवश्यक है। उच्च शिक्षा का महत्व नौकरी और अच्छा पद प्राप्त करने के लिए बहुत अधिक बढ़ गया है। उचित शिक्षा भविष्य में आगे बढ़ने के लिए बहुत से रास्तों का निर्माण करती है। यह हमारे ज्ञान के स्तर, तकनीकी कौशल और नौकरी में उच्च पद को प्राप्त करने के द्वारा हमें सामाजिक, मानसिक और बौद्धिक रुप से मजबूत बनाती है। हरेक बच्चा अपने जीवन में कुछ अलग करने का सपना रखता है। कभी-कभी कुछ माता-पिता भी अपने बच्चे को बड़ा होकर डॉक्टर, आई.ए.एस. अधिकारी, पी.सी.एस. अधिकारी, इंजीनियर या अन्य उच्च पदों पर देखना चाहते हैं। सभी सपनों को सच करने का केवल एक ही रास्ता है, अच्छी शिक्षा।
देश में शिक्षा की स्थिति----भारत में शिक्षा का अत्यन्त पुराना इतिहास है। नालंदा विश्वविद्यालय विश्व में सबसे पुराना विश्वविद्यालय था।
वर्तमान में यहाँ शिक्षा मुख्यतः सार्वजनिक संस्थानों से प्रदान की जाती है जिसमें नियंत्रण एवं वित्तपोषण तीन स्तरों से आता है - केन्द्र, राज्य एवं स्थानीय निकाय। १४ वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान किया गया है।
अंग्रेजी राज के समय में भारतीय समाज में पश्चिमी ढंग की शिक्षा का भी समावेश हुआ। भारत में शिक्षा का विषय केन्द्र एवं राज्य दोनों के अधीन है.
सन् 1964, 1966, 1968 तथा 1975 ई॰ में शिक्षा संबंधी आयोगों का गठन हुआ । 10 +2 +3 की शिक्षा पद्धति को सन् 1986 ई॰ में लागू किया गया इसे देश के अनेक राज्यों में लागू किया गया । इसे ही नई (वर्तमान) शिक्षा नीति की संज्ञा दी गई । इसमें पूर्वकालीन शिक्षा संबंधी अनेक विषमताओं व त्रुटियों को दूर करने का प्रयास किया गया ।
उद्देश्य---सर्व शिक्षा अभियान भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसकी शुरूआत (2001-02) मे अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा एक निश्चित समयावधि के तरीके से प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करने के लिए किया गया, जैसा कि भारतीय संविधान के 86वें संशोधन द्वारा निर्देशित किया गया है जिसके तहत 6-14 साल के बच्चों (2001 में 205 मिलियन अनुमानित) की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान को मौलिक अधिकार बनाया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2010 तक संतोषजनक गुणवत्ता वाली प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करना है। एसएसए (SSA) में 8 मुख्य कार्यक्रम हैं। इसमें आईसीडीएस (ICDS) और आंगनवाड़ी आदि शामिल हैं। इसमें केजीबीवीवाई (KGBVY) भी शामिल है। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना की शुरूआत 2004 में हुई जिसमें सारी लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा देने का सपना देखा गया, बाद में यह योजना एसएसए के साथ विलय हो गई। 1.2003 तक सभी स्कूल में हों.
2.2007 तक प्राथमिक शिक्षा का 5 साल पूरा करना और 2010 तक स्कूली शिक्षा का 8 साल पूरा करना।
संतोषजनक गुणवत्ता और जीवन के लिए शिक्षा पर बल देना.
3.2007 तक प्राथमिक स्तर पर और 2010 तक प्रारंभिक स्तर पर सभी लैंगिक और सामाजिक अंतर को समाप्त करना।
वर्ष 2010 तक सार्वभौमिक प्रतिधारण.सर्व शिक्षा अभियान
देश में शिक्षा की स्थिति----भारत में शिक्षा का अत्यन्त पुराना इतिहास है। नालंदा विश्वविद्यालय विश्व में सबसे पुराना विश्वविद्यालय था।
वर्तमान में यहाँ शिक्षा मुख्यतः सार्वजनिक संस्थानों से प्रदान की जाती है जिसमें नियंत्रण एवं वित्तपोषण तीन स्तरों से आता है - केन्द्र, राज्य एवं स्थानीय निकाय। १४ वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान किया गया है।
अंग्रेजी राज के समय में भारतीय समाज में पश्चिमी ढंग की शिक्षा का भी समावेश हुआ। भारत में शिक्षा का विषय केन्द्र एवं राज्य दोनों के अधीन है.
सन् 1964, 1966, 1968 तथा 1975 ई॰ में शिक्षा संबंधी आयोगों का गठन हुआ । 10 +2 +3 की शिक्षा पद्धति को सन् 1986 ई॰ में लागू किया गया इसे देश के अनेक राज्यों में लागू किया गया । इसे ही नई (वर्तमान) शिक्षा नीति की संज्ञा दी गई । इसमें पूर्वकालीन शिक्षा संबंधी अनेक विषमताओं व त्रुटियों को दूर करने का प्रयास किया गया ।
उद्देश्य---सर्व शिक्षा अभियान भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसकी शुरूआत (2001-02) मे अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा एक निश्चित समयावधि के तरीके से प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करने के लिए किया गया, जैसा कि भारतीय संविधान के 86वें संशोधन द्वारा निर्देशित किया गया है जिसके तहत 6-14 साल के बच्चों (2001 में 205 मिलियन अनुमानित) की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान को मौलिक अधिकार बनाया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2010 तक संतोषजनक गुणवत्ता वाली प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करना है। एसएसए (SSA) में 8 मुख्य कार्यक्रम हैं। इसमें आईसीडीएस (ICDS) और आंगनवाड़ी आदि शामिल हैं। इसमें केजीबीवीवाई (KGBVY) भी शामिल है। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना की शुरूआत 2004 में हुई जिसमें सारी लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा देने का सपना देखा गया, बाद में यह योजना एसएसए के साथ विलय हो गई। 1.2003 तक सभी स्कूल में हों.
2.2007 तक प्राथमिक शिक्षा का 5 साल पूरा करना और 2010 तक स्कूली शिक्षा का 8 साल पूरा करना।
संतोषजनक गुणवत्ता और जीवन के लिए शिक्षा पर बल देना.
3.2007 तक प्राथमिक स्तर पर और 2010 तक प्रारंभिक स्तर पर सभी लैंगिक और सामाजिक अंतर को समाप्त करना।
वर्ष 2010 तक सार्वभौमिक प्रतिधारण.सर्व शिक्षा अभियान
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