ससार ग अमरता से ही लोगों को मिलती है जो अपन का आपरामक स्थायी मूल्य होता
नामा यही देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति संपन्न परिवार में कर कम कर योजना से ना जाम मध्यम
व के घरों में या गरीब परिवारों में ही होता तस तरह का पालन पोषण समोर राम और
में होता है और वे सादा जीवन
ताने के आदी हो जाते है।
मनुष्य विनय, उदारता, कष्ट्रपहिष्णुला प्रवास आदि चारितिक गुणों का विकास अगोएयराणी का प्रमाण
उसके जीवन पर पड़ता है। ये ग्रण व्यक्ति के जीवन आकारहीन
गमावा-मलमा भावी जीवनया सादगी का
है. रहन सहन, वेशभूपर और आचार-विचारों का ऐक निर्दिष्ट जीवनय सादगी लाने के लिए दो मार विशेष रूप
प्रथम कठिन ए कठिन परिस्थितियों में कोहनी लीय अपनी जयकताओं को यम ना
सादगी का विचारों से भी घनिष्ठ संबंध है। सादा पर व्यतीत करना शहिए और अपने विधायकोलाए रखना
पहिए। व्यक्ति सच्ची पहचान उसके विचारों और करनी से होती है। मनुष्य के विचार उसके आवरण
और उसके विवेक को जाग्रत रखते हैं। किसी व्यक्ति ही अपनी आवश्यकताओं को सीमित खती है। जन ऊपर
नवी नहीं होने देत सादा जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति को कभी हरपथ होकर अपने आत्यसम्म
देनी चाहिए। सादगी मनुष्यों के चरित्र का अंश है, वह बाहरी चीज नहीं है।
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this is because the microbes can spread in the community and the second group of this is
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