Hindi, asked by Anonymous, 9 months ago

सत का मानक रूप क्या है​

Answers

Answered by joelmathew190706
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Answer:

हमारा यह मानव रूप, चैतन्य शक्ति आत्मा और पंचतत्त्व युक्त विनाशशील जड़ शरीर का समन्वय है। इस संदर्भ में जानो कि न तो चैतन्य शक्ति के बिना यह जड़ शरीर क्रियावन्त हो सकता है और न ही जड़ शरीर के बिना चैतन्य शक्ति कोई कार्य कर सकती है। अन्य शब्दों में मानव रूप में हमारा यह जड़ शरीर चैतन्य शक्ति का अमूल्य वाहन है। अत: दोनों को ही संतुलित विकास वांछनीय है। आत्मिक ज्ञान ही इस वांछनीय विकास की पूर्ति का एकमात्र साधन है यानि इसी से ही शरीर व आत्मा का उचित विकास हो सकता है और इन्सान के लिए हर परिस्थिति में मानसिक संतुलन बनाए रखना सहज हो जाता है।

जानो कि प्रकृति ने सर्वोत्कृष्ट मानव/प्राणी के भेस में हमारी रचना स्वयं अपने नियंता, सेवक तथा संचालक के रूप में की है। हममें प्रकृति के प्रत्येक पदार्थ के गुण, दोष, कर्म तथा स्वभाव को जानने की तथा उसको सर्व हित के निमित्त प्रयोग करने की क्षमता है। हमारी क्षमताएँ असीम हैं। कोई भी कार्य हमारे लिए असंभव नहीं।

Explanation:

muche lagtha hai ki ehi answer hai

Answered by mahek77777
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मानक हिन्दी हिन्दी का मानक स्वरूप है जिसका शिक्षा, कार्यालयीन कार्यों आदि में प्रयोग किया जाता है। भाषा का क्षेत्र देश, काल और पात्र की दृष्टि से व्यापक है। इसलिये सभी भाषाओं के विविध रूप मिलते हैं। इन विविध रूपों में एकता की कोशिश की जाती है और उसे मानक भाषा कहा जाता है।

हिन्दी में ‘मानक भाषा’ के अर्थ में पहले ‘साधु भाषा’, ‘टकसाली भाषा’, ‘शुद्ध भाषा’, ‘आदर्श भाषा’ तथा ‘परिनिष्ठित भाषा’ आदि का प्रयोग होता था। अंग्रेज़ी शब्द ‘स्टैंडर्ड’ के प्रतिशब्द के रूप में ‘मान’ शब्द के स्थिरीकरण के बाद ‘स्टैंडर्ड लैंग्विज’ के अनुवाद के रूप में ‘मानक भाषा’ शब्द चल पड़ा। अंग्रेज़ी के ‘स्टैंडर्ड’ शब्द की व्युत्पत्ति विवादास्पद है। कुछ लोग इसे ‘स्टैंड’ (खड़ा होना) से जोड़ते हैं तो कुछ लोग एक्सटैंड ‘बढ़ाना’ से। मेरे विचार में यह ‘स्टैंड’ से संबद्ध है। वह जो कड़ा होकर, स्पष्टतः औरों से अलग प्रतिमान का काम करे। ‘मानक भाषा’ भी अमानक भाषा-रूपों से अलग एक प्रतिमान का काम करती है। उसी के आधार पर किसी के द्वारा प्रयुक्त भाषा की मानकता अमानकता का निर्णय किया जाता है।

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