सत कबीर
जैसा भोजन खाइए, तैसा ही मन होय ।
जैसा पानी पीजिये, तैसी बानी होय।
भक्त सूरदास
परिचय
ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय ।
औरन को शीतल करै, आपौ शीतल होय ।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसा बुरा न कोय ।
.
(संत कबीर)
संत कबीर
जन्म : लगभग १३९८ (उ.प्र.)
मृत्यु: लगभग १५१८ (उ.प्र.)
परिचय : भक्तिकालीन निर्गुण
काव्यधारा के संत कवि कबीर
मानवता एवं समता के प्रबल
समर्थक थे।
प्रमुख कृतियाँ
'साखी',
'सबद, रमैनी' इन तीनों का
संग्रह 'बीजक' नामक ग्रंथ में
किया गया है।
XX
भारत
भक्त सूरदास
M
मैया, कबहिं बढ़ेगी चोटी ?
टान रोज मुनि
किती बार मोहिं दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी ।।
जो कहति बल की बेनी ज्यौं, हवै है लाँबी-मोटी।
काँचो दूर पियावत पचि-पचि देत न माखन-रोटी ।
सूर स्याम चिरजीवौ दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी ।।
जन्म : लगभग १४७८, आगरा
(उ.प्र.)
मृत्यु : १५६३ से १५९१ के बीच
परिचय: सूरदास जी वात्सल्य
रस के सम्राट माने जाते हैं ।
आपका नाम कृष्णभक्ति धारा
को प्रवाहित करने वाले कवियों
में सर्वोपरि है।
प्रमुख कृतियाँ : 'सूरसागर'
'सरसारावली', 'साहित्यलहरी
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इन प्रसिद्ध हस्तियों के संबंध में बहुत सारी जानकारी देने के लिए धन्यवाद
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