Hindi, asked by anuragh51, 4 months ago

सतिप्रथा क्या है? इसे रोकने में राजा राममोहन राय ने क्या किया? ​

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Answered by anwarshahidgul0143
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सती कुछ पुरातन भारतीय समुदायों में प्रचलित एक ऐसी धार्मिक प्रथा थी, जिसमें किसी पुरुष की मृत्त्यु के बाद उसकी पत्नी उसके अंतिम संस्कार के दौरान उसकी चिता में स्वयमेव प्रविष्ट होकर आत्मत्याग कर लेती थी। 1829 में अंग्रेजों द्वारा भारत में इसे गैरकानूनी घोषित किए [1]जाने के बाद से यह प्रथा प्रायः समाप्त हो गई थी । वास्तव मैं सती होने के इतिहास के बारे मे पूर्ण सत्यात्मक तथ्य नही मिले हैं। यह वास्तव मैं राजाओ की रानियों अथवा उस क्षेत्र की महिलाओं का इस्लामिक आक्रमणकारियों के आक्रमण के समय यदि उनके रक्षकों की हार हो जाती तो अपने आत्मसम्मान को बचने के लिए स्वयं दाह कर लेतीं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण चित्तौड़ की महारानी पद्मिनी का आता हैं।

शोधकर्ता मानते हैं कि इस प्रथा का प्रचलन मुस्लिम काल में देखने को मिला जबकि मुस्लिम आक्रांता महिलाओं को लूटकर अरब ले जाते थे या राजाओं के मारे जाने के बाद उनकी रानियां जौहर की रस्म अदा करती थी अर्थात या तो कुएं में कूद जाती थी या आग में कूदकर जान दे देती थी। हिन्दुस्तान पर विदेशी मुसलमान हमलावरों ने जब आतंक मचाना शुरू किया और पुरुषों की हत्या के बाद महिलाओं का अपहरण करके उनके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू किया तो बहुत-सी महिलाओं ने उनके हाथ आने से, अपनी जान देना बेहतर समझा। उस काल में भारत में इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा सिंध, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान आदि के छत्रिय या राजपूत क्षेत्रों पर आक्रमण किया जा रहा था।

जब अलाउद्दीन खिलजी ने पद्मावती को पाने की खातिर चित्तौड़ में नरसंहार किया था तब उस समय अपनी लाज बचाने की खातिर पद्मावती ने सभी राजपूत विधवाओं के साथ सामूहिक जौहर किया था। महिलाओं के इस बलिदान को याद रखने के लिए उक्त स्थान पर मंदिर बना दिये गए और उन महिलाओं को सती कहा जाने लगा। तभी से सती के प्रति सम्मान बढ़ गया और सती प्रथा प्रचलन में आ गई। इस प्रथा के लिए धर्म नहीं, बल्कि उस समय की परिस्थितियां और लालचियों की नीयत जिम्मेदार थी। इस प्रथा का अन्त राजा राममोहन राय ने अंग्रेज के गवर्नर लार्ड विलियम बैंटिक की सहायता से की ।

Answered by Anonymous
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ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन रॉय ने सती प्रथा के विरुद्ध समाज को जागरूक किया, जिसके फलस्वरूप इस आन्दोलन को बल मिला और तत्कालीन अंग्रेजी सरकार को सती प्रथा को रोकने के लिये कानून बनाने पर विवश होना पड़ा था। अन्तत: उसने सन् 1829 में सती प्रथा रोकने का कानून पारित कर दिया था

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