Sociology, asked by sachdevtavleen4358, 1 year ago

सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीप के बारे में चुने।

Answers

Answered by nikitasingh79
24

उत्तर :  

सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण   है :  

एशिया महाद्वीप :  

रेशम मार्ग (सिल्क रूट)  से चीनी पाॅटरी तथा भारत एवं दक्षिण पूर्व एशिया के कपड़े एवं मसाले संसार के दूसरे हिस्सों में पहुंचते थे।  बहुमूल्य वस्तुएं जैसे सोना चांदी वापसी में यूरोप से एशिया में पहुंचती  थी।

अमेरिका महाद्वीप :  

आज से लगा 500 साल पहले हमारे पास आलू, सोया, मूंगफली , मक्का,  शकरकंद आदि खाद्य पदार्थ नहीं थे।  यह खाद्य पदार्थ कोलंबस द्वारा अमेरिका की खोज के बाद वहां से यहां पहुंचे।

विश्व के भिन्न-भिन्न भागों में आपसी आदान-प्रदान प्राचीन काल से ही होता रहा है। सत्रहवीं सदी तक तो विश्व के देश आपस में काफी निकट आ चुके थे।

आशा है कि है उत्तर आपकी मदद करेगा।

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न  

बताएँ कि पूर्व-आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी।  

https://brainly.in/question/9644476

 

निम्नलिखित के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें:

(क) कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला।

(ख) अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना।

(ग) विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत।

(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव।

(ङ) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला।

https://brainly.in/question/9630714

Answered by Anonymous
11

Explanation:

समाजशास्त्र एक नया अनुशासन है अपने शाब्दिक अर्थ में समाजशास्त्र का अर्थ है – समाज का विज्ञान। इसके लिए प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द सोशियोलॉजी लेटिन भाषा के सोसस तथा ग्रीक भाषा के लोगस दो शब्दों से मिलकर बना है जिनका अर्थ क्रमशः समाज का विज्ञान है। इस प्रकार सोशियोलॉजी शब्द का अर्थ भी समाज का विज्ञान होता है। परंतु समाज के बारे में समाजशास्त्रियों के भिन्न – भिन्न मत है इसलिए समाजशास्त्र को भी उन्होंने भिन्न-भिन्न रूपों में परिभाषित किया है।

अति प्राचीन काल से समाज शब्द का प्रयोग मनुष्य के समूह विशेष के लिए होता आ रहा है। जैसे भारतीय समाज , ब्राह्मण समाज , वैश्य समाज , जैन समाज , शिक्षित समाज , धनी समाज , आदि। समाज के इस व्यवहारिक पक्ष का अध्यन सभ्यता के लिए विकास के साथ-साथ प्रारंभ हो गया था। हमारे यहां के आदि ग्रंथ वेदों में मनुष्य के सामाजिक जीवन पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया है।

इनमें पति के पत्नी के प्रति पत्नी के पति के प्रति , माता – पिता के पुत्र के प्रति , पुत्र के माता – पिता के प्रति , गुरु के शिष्य के प्रति , शिष्य के गुरु के प्रति , समाज में एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के प्रति , राजा का प्रजा के प्रति और प्रजा का राजा के प्रति कर्तव्यों की व्याख्या की गई है।

मनु द्वारा विरचित मनूस्मृति में कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था और उसके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है और व्यक्ति तथा व्यक्ति , व्यक्ति तथा समाज और व्यक्ति तथा राज्य सभी के एक दूसरे के प्रति कर्तव्यों को निश्चित किया गया है। भारतीय समाज को व्यवस्थित करने में इसका बड़ा योगदान रहा है इसे भारतीय समाजशास्त्र का आदि ग्रंथ माना जा सकता है।

Similar questions