History, asked by nishthachhajer25991, 9 months ago

सत्तa ke udvadr vitaran ki veyakhya kijiye

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Answered by priyankaroykhan888
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Explanation:

उदात्त (Sublime) काव्याभिव्यंजना के वैशिष्ट्य एवं उत्कर्ष का कारणतत्व है जिसका प्रतिपादन लोंगिनुस (लांजाइनस) ने अपनी कृति "पेरिइप्सुस" (काव्य में उदात्त तत्व) में किया है। इसके अनुसार उदात्त तत्व शैली की वह महत्वपूर्ण एंव महत्तम विशेषता है जो विभिन्न व्यंजनाओं के माध्यम से किसी घटना अथवा व्यक्तित्व के रोमांटिक, आवेशपूर्ण तथा भयंकर पक्ष की अभिव्यक्ति के लिए प्रयुक्त होती है। सच्चे औदात्य के स्पर्श मात्र से मानवात्मा सहज ही उत्कर्ष को प्राप्त हो जाती है, सामान्य धरातल से ऊपर उठकर आनंद और उल्लास से आप्लावित होने लगती है और श्रोता अथवा पाठक को महसूस होने लगता है कि जो कुछ उसने श्रवण किया या पढ़ा है, वह स्वयं उसका अपना भोगा हुआ है। इसके विपरीत किसी कृति को बार-बार पढ़ने या सुनने के बाद भी यदि व्यक्ति की आत्मा उन्नत विचारों की ओर प्रवृत्त नहीं होती तो स्पष्ट ही उक्त कृति में प्रतीयमान अर्थ से अधिक विचारोत्तेजक सामग्री का अभाव रहता है और उसे उदात्त-तत्व-समन्वित नहीं माना जा सकता। उदात्त-गुण-युक्त कृति न केवल सभी को सर्वदा आनंदित करती है, अपितु विसंवादी तत्वों के संयोग से एक ऐसे वातावरण का निर्माण भी करती है कि उसके प्रति पाठक अथवा श्रोता की आस्था और भी गहरी एवं अमिट हो जाती है।

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