Hindi, asked by savitarawat400104, 5 months ago

सत्य का दिखने और ojal होने से आप क्या समझते हैं​

Answers

Answered by rani880083
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Answer:

सत्य के दिखने और ओझल होने से मैं यह समझती हूं कि आज सत्य का कोई एक स्थिर रुप, आकार, पहचान नहीं है, जिससे सत्य को स्थायी मान लिया जाए। उसका रुप वस्तु, स्थिति, घटनाओं और पात्रों के अनुसार बदलता रहता है। इसलिए सत्य की पहचान और उसकी पकड़ करना एक दुष्कर कार्य है।

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