सत्य कविता किस काल की कविता है?
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‘सत्य’ कविता महाभारत काल की कविता है।
‘सत्य’ कविता हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार ‘विष्णु खरे’ द्वारा रचित एक पौराणिक संदर्भ वाली कविता है। इस कविता में कवि ने महाभारत काल के पौराणिक संदर्भों और पात्रों के द्वारा जीवन में सत्य के महत्व को स्पष्ट करने की कोशिश की है। उन्होंने इस कविता में महाभारत कालीन कथा का आधार लेकर अपनी बात को प्रस्तुत करने की चेष्टा की है। महाभारत के पात्र युधिष्ठिर और विदुर द्वारा तथा खांडवप्रस्थ और इंद्रप्रस्थ जैसी जगहों के प्रसंगों द्वारा सत्य के महत्व को इतिहासिक परिप्रेक्ष्य के माध्यम से प्रस्तुत करना ही कवि का लक्ष्य रहा है। कवि ने इस कविता में यह बताने की का प्रयास किया है कि आज आज के वर्तमान समय में सत्य की पहचान और उसकी उसको बनाए रखना बेहद कठिन कार्य हो गया है।
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Answer:
( विष्णु खरे जी अनुवादक ,समकालीन लेखक,साहित्यकार तथा फ़िल्म समीक्षक, पत्रकार व पटकथा लेखक भी थे। वे हिन्दी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखते थे। वे अंग्रेजी साहित्य को विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ाते थे | विष्णु खरे जी (१९४० - २०१८) ने अपनी कृतियों में आधुनिक जीवन के अनैतिक व अमानवीय पहलुओं को सरल भाषा शैली के माध्यम से उजागर किया है | )
"सत्य" कविता में विष्णु खरे जी ने पौराणिक काल (उत्तरवैदिक काल ) का संदर्भ लिया है तथा महाभारत के पात्रों के द्वारा जीवन में सत्य के स्वरूप और उसकी महत्ता को स्पष्ट किया है । कवि की विषय वस्तु का आधार महाभारत के पात्र युधिष्ठिर तथा विदुर की सत्यनिष्ठता है |
इस कविता के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि हम जिस समाज में जी रहे हैं उसमें सत्य को पहचानना और उसकी पकड़ रखना अत्यंत कठिन कार्य है | इस कार्य को सुगम बनाना है तो हमें सत्य के प्रति निष्ठावान होना होगा क्योंकि यह आत्मा की आंतरिक शक्ति के माध्यम से ही पहचाना जा सकता है |
सत्य का रूप वस्तु, परिस्थिति, काल ,घटनाक्रम तथा किरदारों के माध्यम से किंचित बदल सकता है परंतु फिर भी हमारा अंतर्मन सत्य के प्रति अपनी गवाही अवश्य देता है | इस यथार्थ को कवि ने युधिष्ठिर की सत्यनिष्ठा के माध्यम से विदुर को गुहार लगाकर प्रस्तुत किया है ताकि सत्य का वास्तविक स्वरूप उजागर हो सके ।