सत्य धर्म का बोझ सहता जितना होता उतना कहता हांथ के अजू बाजू फेरे पव में रहते दो थैले
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सत्य धर्म का बोझा सहता, जितना होता, उतना कहता। हाथ के आजू-बाजु फैले, पांव में रहते हैं दो थेले। उसका पी जब छाती लाय, अच्छा-भला काना हो जाय। डरे शेर भी-सो चिल्लाय, जिस पर थूके, वो मर जाय।
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