सतत पोषणीय विकास किसे कहते हैं
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➲ सतत पोषणीय विकास से अभिप्राय उस प्रक्रिया से है, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का इस तरह समझदारी से उपयोग किया जाए, जिससे वह दीर्घकालीन अवधि तक टिकाऊ बने रहें, और वर्तमान पीढ़ी के साथ-साथ आने वाले भविष्य की पीढ़ियों को भी वह संसाधन लाभ पहुँचायें।
व्याख्या ⦂
✎... सतत पोषणीय विकास निरंतर चलने वाला विकास है, जो दीर्घकालीन अवधि तक रहने की अवधारणा पर आधारित होता है। सतत पोषणीय विकास निरंतर क्रियान्वित होने वाला विकास है, जिसका कभी अंत नहीं होता।
सतत पोषणीय विकास प्राकृतिक संसाधनों का समझदारी पूर्वक उपयोग करना सिखाता है, जिससे संसाधनों दीर्घकालीन बनते है और आने वाली पीढ़ियां भी इन संसाधनों का लाभ उठाती हैं। सतत पोषणीय विकास से जीवन शैली के स्तर में सुधार आता है, और लोगों में जागरूकता उत्पन्न होती है। चूँकि इस अवधारणा में संसाधनों का समझदारी से और सीमित उपयोग किया जाता है, इसस प्रदूषण के स्तर में भी कमी आती है तथा पर्यावरण को कम हानि पहुंचती है।
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सतत पोषण विकास.
व्याख्या:
- टिकाऊ पोषण वैश्विक महत्व का विषय है, क्योंकि मनुष्य कहीं भी पुराने रोगों और पोषक तत्वों की कमी की बढ़ती दरों को दूर करने के लिए संघर्ष करते हैं,
- जबकि इसके अतिरिक्त प्रतिबंधित प्राकृतिक संसाधनों को बनाए रखते हैं.
- टिकाऊ पोषण का तरीका सुनिश्चित करें कि पौष्टिक, पोषक तत्व-घने खाद्य पदार्थ पहुंच योग्य, कम लागत और सांस्कृतिक रूप से लागू हैं, जबकि पर्यावरणीय स्रोतों को रखने और आसपास के समुदायों की सहायता करना भी.
- स्वस्थ आहार मधुमेह, कोरोनरी हृदय रोग, स्ट्रोक और सबसे अधिक कैंसर के साथ कुपोषण और गैर संचारी बीमारियों के विनाशकारी परिणामों की दिशा में बचाव में मदद करते हैं.
- यह आने वाले वर्षों में भी अतिरिक्त आवश्यक हो सकता है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय नेता बढ़ती आबादी को स्थायी रूप से पोषित करने के लिए एक साथ काम कर रहे हैं.