Hindi, asked by niranjanpv07, 6 months ago

सदियों से हुगली की गहरी और नीली धारा लोगों को अपनी नीलिमा के आकर्षण में बांधती , करोड़ों लोगों की प्यास बुझाती और उन्हें पालती - पोसती आ रही है किंतु आज खुद बेतरह प्रदूषित होकर हॉफ रही है । करीब पांच सौ किलोमीटर की यात्रा तय करते हुए । गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा करीब दो हजार नौ सौ किलोमीटर की लंबी यात्रा तय करती है । हुगली सागर में मिलती है पर इस सफर में उसे कोलकाता , हावड़ा समेत जगह - जगह विभिन्न नगरों , उपनगरों और कस्बों की गंदगी और कचरे को गले लगाना पड़ता है । इससे हुगली का दम भुटने लगा है । हर साल मिट्टी की बनी हजारों प्रतिमाओं के अलावा बारह हजार अधजले और 60 हजार मरे जीव - जंतु हुगली में विसर्जित किए जाते हैं । सात सौ से ज्यादा कल - कारखानों का कचरा और नालियों का 25 करोड़ गेलन गंदा पानी इस नदी को भेंट किया जाता है । हुगली की तलहटी कचरे से पटती जा रही है और इसकी जल ग्रहण क्षमता हर वर्ष घटती जा रही है । नदी - प्रदूषण के कारण नदी स्वच्छ रखने के उपाय​

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Answered by jhavijay020
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Answer:

Nadi Mein kachra kam failaye

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