sati pratha kis Kaal Mein Hui
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Explanation:सती जैसी प्रथाएं समाज के लिए कलंक है. इस तरह की प्रथाएं समाज में महिलाओं के खिलाफ अन्याय को बढ़ावा देती हैं. इस प्रथा की आड़ में जाने कितने परिवार खत्म हुए, बच्चों से मां का आसरा छीना गया. इस कुप्रथा के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई के बाद आज ही के दिन यानी 4 दिसंबर को हमारे समाज को इस कुप्रथा से मुक्ति मिली थी.
1 सती जैसी प्रथाएं समाज के लिए कलंक है. इस तरह की प्रथाएं समाज में महिलाओं के खिलाफ अन्याय को बढ़ावा देती हैं. इस प्रथा की आड़ में जाने कितने परिवार खत्म हुए, बच्चों से मां का आसरा छीना गया. इस कुप्रथा के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई के बाद आज ही के दिन यानी 4 दिसंबर को हमारे समाज को इस कुप्रथा से मुक्ति मिली थी. सती प्रथा में पति की मृत्यु के बाद पत्नी को भी चिता पर बिठा दिया जाता था. उसे भी अपने प्राण त्यागने के लिए विवश किया जाता था.
2 सती प्रथा में पति की मृत्यु के बाद पत्नी को भी चिता पर बिठा दिया जाता था. उसे भी अपने प्राण त्यागने के लिए विवश किया जाता था. मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा के रूप सती ने पति भगवान शिव की पिता दक्ष के द्वारा किये गये अपमान से क्षुब्ध होकर अग्नि में आत्मदाह कर लिया था. कई लोग मानते हैं कि यहीं से सती प्रथा की शुरुआत हुई थी.
3 मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा के रूप सती ने पति भगवान शिव की पिता दक्ष के द्वारा किये गये अपमान से क्षुब्ध होकर अग्नि में आत्मदाह कर लिया था. कई लोग मानते हैं कि यहीं से सती प्रथा की शुरुआत हुई थी. लेकिन इसे भी सती प्रथा के समान नहीं माना जा सकता क्योंकि इस समय उनके पति जीवित थे.
4 लेकिन इसे भी सती प्रथा के समान नहीं माना जा सकता क्योंकि इस समय उनके पति जीवित थे. भारतीय इतिहास की बात करें तो गुप्तकाल में 510 ईसवी के आसपास सती प्रथा के होने के प्रमाण मिलते हैं. महाराजा भानुप्रताप के राज घराने के गोपराज की युद्ध में मृत्यु हो जाने के बाद उनकी पत्नी ने अपने प्राण त्याग दिए थे.
5 भारतीय इतिहास की बात करें तो गुप्तकाल में 510 ईसवी के आसपास सती प्रथा के होने के प्रमाण मिलते हैं. महाराजा भानुप्रताप के राज घराने के गोपराज की युद्ध में मृत्यु हो जाने के बाद उनकी पत्नी ने अपने प्राण त्याग दिए थे. अपनी आंखों के सामने पाप होते हुए देख भी लोगों ने उसे धर्म का आदर करना समझा. कुछ क्षेत्रों में तो लोगों ने मृत पति की जायदाद पर कब्ज़ा करने के लिए पत्नियों को जबर्दस्ती सती होने पर जोर दिया. लेकिन फिर 19वीं शताब्दी में इसे रोकने के लिए बदलाव की हवा बहने लगी.
6 अपनी आंखों के सामने पाप होते हुए देख भी लोगों ने उसे धर्म का आदर करना समझा. कुछ क्षेत्रों में तो लोगों ने मृत पति की जायदाद पर कब्ज़ा करने के लिए पत्नियों को जबर्दस्ती सती होने पर जोर दिया. लेकिन फिर 19वीं शताब्दी में इसे रोकने के लिए बदलाव की हवा बहने लगी. आधुनिक भारत के जनक राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा को खत्म करने के लिए कई जतन किए. इसी के साथ उन्होंने विधवा विवाह को भी सही ठहराया.
7 आधुनिक भारत के जनक राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा को खत्म करने के लिए कई जतन किए. इसी के साथ उन्होंने विधवा विवाह को भी सही ठहराया. राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा जैसी की गलत परंपराओं और उनके बुरे प्रभावों के साथ उसके निवारण पर हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला भाषा में पुस्तकें लिखकर फ्री में बंटवाईं.
8 राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा जैसी की गलत परंपराओं और उनके बुरे प्रभावों के साथ उसके निवारण पर हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला भाषा में पुस्तकें लिखकर फ्री में बंटवाईं. 4 दिसंबर, साल 1829 को लॉर्ड विलियम बेंटिक की अगुवाई और राजा राम मोहन राय जैसे भारतीय समाज सुधारकों के प्रयासों से सती प्रथा पर भारत में पूरी तरह से रोक लगी थी.