Satiye ki jeet Hindi me very easy
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HELLO MATE!!!!
आज हर तरफ फैले भ्रष्टाचार और अन्याय रूपी अंधकार को देखकर मन में हमेशा उस उजाले को पाने की चाह रहती है, जो इस अंधकार को मिटाए। कहीं से भी कोई आस न मिलने के बाद हम अपनी संस्कृति के ही पन्नों को पलट आगे बढ़ने की उम्मीद करते हैं।
रावण को हर वर्ष जलाना असल में यह बताता है कि हिंदू समाज आज भी गलत का प्रतिरोधी है। वह आज भी और प्रति दिन अन्याय के विरुद्ध है। रावण को हर वर्ष जलाना अन्याय पर न्यायवादी जीत का प्रतीक है, कि जब जब पृथ्वी पर अन्याय होगा हिन्दू संस्कृति उसके विरुद्ध रहेगी।
आतंकवाद, गंदगी, भ्रष्टाचार और महंगाई आदि बहुमुखी रावण है। आज के समय में ये सब रावण के प्रतीक हैं। सबने रामायण को किसी न किसी रुप में सुना, देखा और पढ़ा ही होगा। रामायण यह सीख देती है कि चाहे असत्य और बुरी ताकतें कितनी भी प्रबल हो जाएं, पर अच्छाई के सामने उनका वजूद उनका अस्तित्व नहीं टिकेगा। अन्याय की इस मार से मानव ही नहीं भगवान भी पीड़ित हो चुके हैं लेकिन सच और अच्छाई ने हमेशा सही व्यक्ति का साथ दिया है ।
दशहरा का पर्व दस प्रकार के पाप – काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी को हरता है। दशहरे का पर्व इन्हीं पापों के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है। राम और रावण की कथा तो हम सब जानते ही हैं, जिसमें राम को भगवान विष्णु का एक अवतार बताया गया है। वे चाहते तो अपनी शक्तियों से सीता को छुड़ा सकते थे, लेकिन मानव जाति को यह पाठ पढ़ाने के लिए कि - "हमेशा बुराई अच्छाई से नीचे रहती है और चाहे अंधेरा कितना भी घना क्यूं न हो एक दिन मिट ही जाता है” उन्होंने ऐसा नहीं किया।
यह बुराई केवल स्त्री हरण से जुड़ी नहीं है। आज तो हजारों स्त्रियों का हरण होता है, कुछ लोग एक दलित को जिंदा जला देते हैं, बलात्कार के मामले बढ़ते जा रहे हैं, देश में शराबखोरी और ड्रग्स की लत से युवा घिरे हुए हैं। वे युवा जिन्हें 21 वीं सदी में भारत को सिरमौर बनाने की जिम्मेदारी उठाने वाला कहा जाता है वे ड्रग्स की लत से ग्रस्त हैं।
हमने रावण को मारकर दशहरे के अंधकार में उत्साह का उजाला तो फैला दिया, लेकिन क्या हम इन बुराईयों को दूर कर पाए हैं? दशहरा उत्सव अपने उद्देश्य से भटक गया है। अब दशहरे पर केवल शोर होता है और कुछ घंटों का उत्साह मगर लोग आज भी उन बुराईयों के बीच जीते हैं। इस पर्व पर लोगों से संकल्प करवाने वाले और अपनी कोई भी एक बुराई छोड़ने की अपील करने वाले भी इस पर्व के अंधकार में खो जाते हैं। रावण का पुतला सभी को उत्साहित करता है लेकिन बुराईयों से घिरे मानव को इन बुराईयों से मुक्ति नहीं मिल पाती है।
धन पाने की लालसा में व्यक्ति लगा रहता है और बुराईयों के जाल में उलझ जाता है। इस पर्व में भी रावण के पुतले के दहन के साथ ही समाज उसकी बुराईयों को देखता है मगर उसकी अच्छाईयों को भूल जाता। इस पर्व पर लोगों से संकल्प करवाने वाले और अपनी कोई भी एक बुराई छोड़ने की अपील करने वाले भी इस पर्व के अंधकार में खो जाते हैं। रावण का पुतला सभी को उत्साहित करता है, लेकिन बुराईयों से घिरे मानव को इन बुराईयों से मुक्ति नहीं मिल पाती है।
राम ने मानव योनि में जन्म लिया और एक आदर्श प्रस्तुत किया। रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों के रूप में लोग बुरी ताकतों को जलाने का प्रण लेते हैं दशहरा आज भी लोगों के दिलों में भक्तिभाव को ज्वलंत कर रहा है। रावण विजयदशमी को देश के हर हिस्से में जलाया जाता है।
HOPE IT WILL HELP YOU!!!!*****************
ankita2221:
hum yha baat nhi kr skte
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