सड़क चौड़ीकरण के नाम पर वृक्षों की अंधाधुंध कटाई हो रही है जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है इस संदर्भ में किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए
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Explanation:
संवाद सहयोगी, महम :
एक ओर जहां सरकार पर्यावरण संरक्षण के नाम पर करोड़ो रुपए खर्च कर रही है वहीं राजमार्ग चौड़ीकरण के दौरान सैकड़ों की तादाद में पेड़ काटे जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दस साल पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाया है। लेकिन प्रशासनिक अमला खुद ही पर्यावरण संरक्षण के लिए सजग नजर नहीं आ रही है। विकास और सड़क को चौड़ा करने के नाम पर सैकड़ों पेड़ों की कटौती की जा रही है। काटे गए पेड़ों के बदले नए पौधे नहीं लगाए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर चौड़ीकरण के पहले चारों ओर हरियाली थी, लेकिन चौड़ीकरण के दौरान भारी संख्या में पेड़ काटे गए। पहले बहुअकबरपुर से रोहतक सैकड़ों पेड़ काटे गए थे, उनके स्थान पर भी नए पौधे नहीं लगाए गए। अब गांव मदीना और खरकड़ा के बाइपास के लिए हरे-भरे पेड़ों की कटाई जा रही है।
कैसे थमे प्रदूषण
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने पर्यावरण प्रदूषण रोकने के नाम पर दस साल पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने का फैसला किया है। लेकिन विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई धड़ल्ले से जारी है।
जागरूकता के नाम करोड़ों रूपये
पर्यावरण प्रदूषण को लेकर जागरूकता लाने के नाम सरकार हर वर्ष करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाती है। वन विभाग की ओर से लाखों पेड लगाए जाते है। लेकिन देखभाल न होने से लगभग 90 प्रतिशत पेड सूख जाते हैं, जिसका असर हर वर्ष घटते वन क्षेत्र को देखकर लगाया जा सकता है। अगर सरकार पर्यावरण प्रदूषण को लेकर गंभीर है तो जहां भी विकास के नाम पर पेड़ काटे जा रहे उसके स्थान पर ज्यादा पेड लगाने की आवश्यकता है।
दस गुना पौधे लगाए जाएंगे- जिला वन अधिकारी
इस संबंध में पूछे जाने पर जिला वन अधिकारी ने बताया काटे गए पेड़ों के एवज में दस गुणा अधिक नए पौधे लगाने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए अभियान शुरू हो चुका है। पूरे जिले में आठ लाख पेड लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए नर्सरी में पौधा तैयार करने का काम किया जा रहा है।
Answer:
प्रति
संपादक,
द स्टेट्समैन
कोलकाता 700001
27 जुलाई, 2022
आदरणीय महोदय,
आपके सम्मानित दैनिक के कॉलम के माध्यम से मैं पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करना चाहता हूं।
समय-समय पर प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं। यद्यपि हम जानते हैं कि वृक्ष हमारा जीवनदाता और जीवन रक्षक है, हम बिना सोचे-समझे पेड़ों को काट देते हैं। पेड़ों की यह बेवजह कटाई पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ती है और हमारी अर्थव्यवस्था को कमजोर करती है। लेकिन दुर्भाग्य से हम इस तरह के सबसे गंभीर खतरे पर ध्यान नहीं देते हैं। आम लोगों को समस्या की गंभीरता से अवगत नहीं कराया जाता है। जितनी अधिक जनसंख्या वृद्धि होती है, उतनी ही अधिक वृक्षों की कटाई में वृद्धि होती है। हम शहरीकरण, अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि और तेजी से विकास के कारण खुद को हरित स्पर्श से वंचित करते हैं। वनों की कटाई के कारण हमारी पृथ्वी नियमित रूप से सूखे, बाढ़, चक्रवाती तूफान, मिट्टी और पानी के कटाव, वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग का सामना करती है।
लेकिन हमारी नवीनतम आशा यह है कि सरकार, गैर सरकारी संगठन और आम लोग वनों की कटाई को रोकने और इस संबंध में जन जागरूकता पैदा करने के लिए मिलकर काम करेंगे।
शुक्रिया।
आपका आभारी,
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