सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस रूप में किया है ? लिखिए।
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उत्तर :
सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंगकार ने बड़े ही आकर्षक तरीके से किया है। लेखक बस पर व्यंग करते हुए कहता है - हमें लगा यह बस गांधी जी के असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय अवश्य जवान रही होगी। बस का हर हिस्सा एक दूसरे से पूरी तरह से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीट का उसकी बॉडी से अच्छा असहयोग चल रहा था। कभी लगता था कि सीट बॉडी को छोड़ कर आगे निकल गई है कभी लगता था कि सीट को छोड़कर बॉडी आगे की ओर भागी जा रही है। कुछ दूर चलने पर सारे भेद भाव समाप्त हो गए।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंगकार ने बड़े ही आकर्षक तरीके से किया है। लेखक बस पर व्यंग करते हुए कहता है - हमें लगा यह बस गांधी जी के असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय अवश्य जवान रही होगी। बस का हर हिस्सा एक दूसरे से पूरी तरह से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीट का उसकी बॉडी से अच्छा असहयोग चल रहा था। कभी लगता था कि सीट बॉडी को छोड़ कर आगे निकल गई है कभी लगता था कि सीट को छोड़कर बॉडी आगे की ओर भागी जा रही है। कुछ दूर चलने पर सारे भेद भाव समाप्त हो गए।
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Explanation:
सविनय अवज्ञा' का उपयोग व्यंग्यकार ने बस के द्वारा दर्शाया है। लेखक जब जीर्ण-शीर्ण बस में बैठ जाता है तो बस के चलने पर उसे उसका एक भी हिस्सा सही नहीं प्रतीत होता, लेकिन थोड़ी देर के बाद बस इस प्रकार चलने लगती है जैसे सभी भाग मिलकर धीरे- धीरे एक हो गए हों।
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