Hindi, asked by gursheenbrar45, 5 days ago

sawle sapno ki yaad path ki bhumika​

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Answered by chandelpallavi673
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इस पाठ में लेखक हुसैन जी ने पक्षी प्रेमी सालिम अली का स्मरण करते हुए उनका व्यक्तित्व परिचय दिया है। लेखक ने बताया वो ठीक एक सैलानी के तरह अपने कंधो पर बोझ उठाये पलायन कर गए परन्तु यह उनका आखिरी पलायन था, यानी वो मृत्यु को प्राप्त हुए।सलीम जी अनेकों अनुभवों के मालिक थे। अपने जीवन के एकांत समय में भी पक्षियों को दूरबीन से निहारते रहते थे।

वह प्रकृति के प्रभाव में न जाकर , प्रकृति को अपने प्रभाव में लेट थे। एक दिन वे केरल की 'साइलेंट वैली' को रेगिस्तानी हवाओ के शोंको से बचाने का अनुरोध लेकर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले थे। सलिम का आत्मकथा का नाम 'फॉल ऑफ स्पेरो' था।

उसमे उन्होंने एक घटना के विषय में जिक्र किया था। जिक्र करते हुए लेखक ने 'डी एच लॉरेंस' के बारे में लिखा था की उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी से कहा गया की वो अपने पति पर कुछ लिखे , तब उन्होंने कहा कि उनके बारे मे मुझसे ज्यादा मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया ज्यादा जानती हैं। मुमकिन है लॉरेंस सलिम का अटूट हिस्सा हो।

वह एक भ्रमणशील व्यक्ति थे। वह प्रकृति की दुनिया मे टापू के बजाय सागर बन कर उभरे।

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