Secondary School level business essay Hindi mai
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प्रबन्ध सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानवीय क्रियाओं में से एक है । यह सभी प्रकार की सामूहिक व संगठित क्रियाओं को एकीकृत करने की शक्ति है उद्योग तथा व्यवसाय स्थापित किए जाने के बाद प्रवर्त्तकों के सामने महत्वपूर्ण समस्या उनके प्रबन्ध की आती है ।
मानव समाज की सभी क्रियाएँ चाहे वे आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक अथवा शैक्षणिक हों प्रबन्ध इन सभी के सचालन में महत्वपूर्ण योगदान देता है आज के व्यावसायिक व औद्योगिक युग में प्रबन्ध एक जीवनदायनी तत्व (Life-Giving Elements) माना जाता है क्योंकि इसके बिना उत्पादन के साधन (भूमि, श्रम, पूँजी, यन्त्र आदि) केवल साधन मात्र ही रह जाते हैं, उत्पादक नहीं बन पाते ।
इसलिए यह कहना सर्वथा उचित होगा कि जहाँ प्रबन्ध है, वहाँ व्यवस्था, अनुशासन, दक्षता, निर्माण कार्य एवं दर्शन होते हैं । इसके विपरीत, प्रबन्ध के अभाव में अव्यवस्था, कुशासन, अकुशलता, अपव्यय तथा गन्दगी ही दृष्टिगोचर होती है ।
जब भी मानव के सामने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रश्न उत्पन्न होता है, तभी प्रबन्ध एक महत्वपूर्ण तत्व बनकर सामने उपस्थित हो जाता है । इसलिए “प्रबन्ध एक ऐसा साधन है जो प्रत्येक द्वारा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयोग में लाया जाता है” |
लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए केवल साधनों को जुटा लेना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि योजना बनाना, विभिन्न व्यक्तियों के प्रयास द्वारा उन साधनों का कुशलतम तथा मितव्ययी प्रयोग करना भी आवश्यक है और यह कार्य केवल एक कुशल प्रबन्धक द्वारा ही सम्भव हो सकता है ।