sees Mukut Kartik Katni ka Murali urmal Yahi Bani Jo man Baso Sada Bihari Lal Bihari ji ka Doha in hindi
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Sorry I don't know hindi
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बिहारी जी का दोहा हिंदी में-
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सीस-मुकुट कटि-काछनी कर-मुरली उर-माल।
इहिं बानक मो मन बसो सदा बिहारीलाल॥
प्रस्तुत दोहा बिहारी सतसई से लिया गया है जो बिहारी लाल की एक मात्र रचना है, जिसमें ७१९ दोहे संकलित हैं।
इस दोहे के माध्यम से बिहारी लाल कहना चाहते हैं कि सिर पर (मोर ) मुकुट, कमर में (पीताम्बर की) काछनी, हाथ में मुरली और ह्रदय पर (मोती की) माला - हे बिहारी लाल, इस बाने से (इस सजधज से) - सदा मेरे मन में वास करो।
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