SENRIN
HIA
CLASS-IN
(12)
mमिल्नलिखित गदयाशके आधार प्रश्नों के उत्तर दीजिए
गजाधर बाद वाय पलीस साल की नौकरी के बाद वह रिटायर होकर जा रहे थे इन बयों में अधिकाश समय उन्होने
अकसे रहकर काटा या उन अकेले क्षणों में उन्होने इसी समय की कल्पना की थी. जब वह अपने परिवार के साथ रह
सकेगे इसी आशा के सहारे वह अपने अभाव का बोझ ढो रहे थे संसार की इष्टि में उनका जीवन सफल कहा जा
सकता था उन्होंने शहर में एक मकान बनवा लिया था बड़े लड़के अमर और लड़की काति की शादियाँ कर दी थी.दो
बच्चे ऊँची कमाजों में पढ़ रहे थे गजाधर बाबू नौकरी के कारण प्राय छोटे स्टेशनों पर रहे और उनके बच्चे और पत्नी
शहर में जिससे पढाई में बाधा न हो गजाधर बाबू स्वभाव से बहुत स्नेही व्यक्ति थे और स्नेह के आकाक्षी भी जब
परिवार साथ था इयूटी से लौटकर बच्चों से हँसते बोलते पत्नी से कुछ मनो विनोद करते उन सबके चले जाने से
उनके जीवन में गहन सूनापन भर उठा खली क्षणों में उनसे घर में टिका न जाता कवि प्रकृति के न होने पर भी उन
पत्नी की स्नेहपूर्ण बाते याद आती रहती दोपहर में गर्मी होने पर भी. दो बजे तक आग जलाए रहती और उनके स्टेशन
से वापस आने पर गरम-गरम रोटियां संकती उनके खा चुकने और मना करने पर भी थोड़ा-सा कुछ और बाली
परोस देती और बड़े प्यार से आग्रह करती जब वह यके हारे बाहर से आते तो उनकी आहट पा वह रसोई के द्वार
निकल आती और उनकी सलज्ज आँखे मुस्करा उठती गजाधर बाबू को तब हर छोटी बात याद आती और वह उदा
हो उठते अब कितने वर्षों बाद वह अवसर आया था, जब वह फिर उसी स्नेह और आदर के मध्य रहने जा रहे थे
क) उपयुक्त शीर्षक दीजिए
(ख) रिटायर के लिए हिन्दी शब्द लिखिए
(ग) गजाधर बाबू ने अपने परिवार को शहर में क्यों रखा"
(घ) गजाधर बाबू का जीवन सफल क्यों कहा जा सकता है
(5) गजाधर बाबू किस विभाग में नौकरी करते थे
(च) गजाधर बाबू कैसे स्वभाव के व्यक्ति थे'
(छ) गजाधर बाबू के जीवन में सूनापन कब भर उठता या'
(ज) सलज्ज आँखे का आशय स्पष्ट कीजिए
(झ) संसार के दो पर्यायवाची लिखिए
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Answer:
विद्यालय की प्रार्थना-सभा
प्रत्येक विद्यार्थी के लिए प्रार्थना-सभा बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। प्रत्येक विद्यालय में सबसे पहले प्रार्थना-सभा का आयोजन किया जाता है। इस सभा में सभी विद्यार्थी व अध्यापक-अध्यापिकाओं का सम्मिलित होना अत्यावश्यक होता है। प्रार्थना-सभा केवल ईश्वर का ध्यान करने के लिए ही नहीं होती, बल्कि यह हमें अनुशासन भी सिखाती है।
हमारे विद्यालय की प्रार्थना-सभा में ईश्वर की आराधना के बाद किसी एक कक्षा के विद्यार्थियों द्वारा किसी विषय पर कविता, दोहे, विचार, भाषण, लघु-नाटिका आदि प्रस्तुत किए जाते हैं व सामान्य ज्ञान पर आधारित जानकारी भी दी जाती है, जिससे सभी विद्यार्थी लाभान्वित होते हैं।
जब कोई त्योहार आता है, तब विशेष प्रार्थना-सभा का आयोजन किया जाता है। प्रधानाचार्या महोदया भी विद्यार्थियों को सभा में संबोधित करती हैं तथा विद्यालय से संबंधित महत्त्वपूर्ण घोषणाएँ भी करती हैं। प्रत्येक विद्यार्थी को प्रार्थना-सभा में पूर्ण अनुशासनबद्ध होकर विचारों को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए। प्रार्थना-सभा का अंत राष्ट्र-गान से होता है। सभी विद्यार्थियों को प्रार्थना-सभा का पूर्ण लाभ उठाना चाहिए व सच्चे, पवित्र मन से इसमें सम्मिलित होना चाहिए।आज का युग विज्ञान का युग है। वर्तमान समय में विज्ञान ने हमें कम्प्यूटर के रूप में एक अनमोल उपहार दिया है। आज जीवन के हर क्षेत्र में कम्प्यूटर का उपयोग हो रहा है। जो काम मनुष्य द्वारा पहले बड़ी कठिनाई के साथ किया जाता था, आज वही काम कम्प्यूटर द्वारा बड़े ही आराम से किये जा रहे हैं। कंप्यूटर का उपयोग दिनो-दिन बढ़ता जा रहा है। कम्प्यूटर ने दुनिया को बहुत छोटा कर दिया है। इंटरनेट द्वारा गूगल, याहू एवं बिंग आदि वेबसाइट पर दुनियाभर की जानकारी घर बैठे ही प्राप्त की जा सकती है। इंटरनेट पर ई-मेल के द्वारा विश्व में किसी भी जगह बैठे व्यक्ति से संपर्क किया जा सकता है। इसके लिए केवल ई-मेल अकाउंट और पासवर्ड का होना आवश्यक होता है। कम्प्यूटर मनोरंजन का भी महत्वपूर्ण साधन है। इस पर अनेक खेल भी खेले जा सकते हैं। कुल मिलकर कहें तो कम्प्यूटर ने मानव जीवन को बहुत सरल बना दिया है। कम्प्यूटर सचमुच एक जादुई पिटारा है।