शुक्र जनन एवं अण्ड जनन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
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किसी भी प्राणी में अंडाणु और शुक्रणु के मेल से जब अंडाणु निषेचित हो जाता है तो निषेचन के कुछ समय बाद से ही इस निषेचित अंडाणु में विभाजन शुरू हो जाता है। एक से दो, से चार, चार से आठ . . . । स तरह समसूत्रीय विभाजन होते होते कोशिकाओं की एक गेंद सी बन जाती है। चित्र में दिखाए मुताबिक ब्लास्टुला अवस्था में पहुंचने के बाद कोशिकाएं अपनी जगह से इध-उधर खिसक जाती हैं, कईयों की दिशा बदल जाती है – इस सब से अब तक ऐसी गेंद बन जाती है जो तीन परत वाली होती है। जो प्रत्येक परत की कोशिकाएं अन्य कोशिकाओं से भिन्न होती हैं। ये वे तीन परतें हैं जिनसे आगे चलकर भ्रूण के सभी अंग बनते हैं। मतलब ये कि हमारा पूरा शरीर इन तीन परत की कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। प्रत्येक परत की कोशिकाओं को यह मालूम रहता है कि उसे कौन-सा अंग बनाना है। सामान्य भ्रूण में ये तीनों परत दिए गए कार्य को अन्जाम देती हैं। इन तीन परतों को एक्टोडर्म, मिज़ोडर्म व एन्डोडर्म कहते हैं अर्थात बाह्य परत, मध्य परत और अंत: परत।
‘बाह्य परत’ त्वचा की ऊपरी परत व उसकी ग्रन्थियां और केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र बनाती है। इसी प्रकार ‘मध्य परत’ त्वचा की निचली परत, समस्त रूधिर वाहिनियां बनाती है। ‘अंत: परत’ आहाराल व उससे बनने वाली पाचक ग्रन्थियां जैसे लीवर, अग्नाशय आदि बनाती है। साथ ही ये फेफड़े, श्वसनली, मूत्राशय, थाइराइड व थायमस भी बनाती है। कई अंग एक से ज़्यादा पर्तो से भी बनते हैं।
मुख्य रूप से जिस परत से शरीर का एक भाग बनता है, उसकी सभी रचनाएं भी उसी परत से बनती हैं। चलिए, इसे इस प्रकार से समझें। हमें पता है कि मिज़ोडर्म (मध्य परत) से हदय व समस्त रूधिर वाहिनियां बनती हैं। अगर यह पूछा जाए कि लाल रक्त कोशिकाएं व श्वेत रक्त कोशिकाएं किस परत से बनती हैं, तो आप कहेंगे कि चूंकि हदय व समस्त रूधिर वाहिनियां मध्य परत से बनती हैं तो रक्त की कोशिकाएं भी मध्य परत से ही बनेंगी। आप बिलकुल सही कह रहे हैं।
अब मैं आप से एक ओर प्रश्न पूछता हूं कि बताइए पसीने की ग्रंथियां किस परत से बनती हैं? तो शायद आप फिर से कहेंगे कि चूंकि त्वचा की ऊपरी परत व उसकी ग्रंथियां बाह्य परत से बनती हैं तो पसीने की ग्रंथियां भी बाह्य परत से ही बनेंगी। आप फिर से बिलकुल ठीक कह रहे हैं।
लेकिन क्या मैं आप से, एक और प्रश्न करने की गुस्ताखी करूं। अब जनाब, मुझे यह बताइए कि शुक्राणु भी मध्य परत से ही बनेगा। वैसे बहुत-सी किताबों मे भी यही लिखा गया है और बहुत से शिक्षक भी पढ़ाते समय यही भूल कर बैठते हैं।