शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए पर वाद विवाद (विपक्ष में)
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शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए (वाद विवाद) विपक्ष में
शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए, इस बात पर आज के आधुनिक समय में विवाद किया जा सकता है। आज जब विश्व एक वैश्विक गांव में तब्दील होता जा रहा है, संस्कृतियां सिमट रही हैं। लोग एक कॉमन संस्कृति, एक कॉमन भाषा को अपनाने लगे हैं। ऐसे में शिक्षा का माध्यम मातृभाषा में आवश्यक हो यह तर्कसंगत नहीं लगता।
देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजी भाषा और राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का चलन अधिक है। ऐसे में शिक्षा के माध्यम में इन दो भाषाओं की प्रमुखता हो, वह ज्यादा उचित रहेगा। यह बात ठीक है कि कोई भी व्यक्ति अपनी मातृभाषा में अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकता है, अच्छी तरह समझ सकता है। लेकिन आरंभिक शिक्षा मातृभाषा में होने के बाद सेकेंडरी स्तर की शिक्षा एक कॉमन भाषा में होनी चाहिए।
ऐसी भाषा जो सब जगह समझाती हो ताकि व्यक्ति स्वयं को उस भाषा के अनुरूप तैयार कर ले और उसे भविष्य में रोजगार नौकरी आदि पाने में दिक्कत ना हो। क्योंकि हो सकता है उसे रोजगार नौकरी की तलाश में अपने राज्य से बाहर जाना पड़े या देश से बाहर जाना पड़े। ऐसी स्थिति में यदि वह उस भाषा में शिक्षा ग्रहण करेगा जो सबसे अधिक प्रचलन में है, सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, जिसका विस्तार ज्यादा है, तो यह व्यक्ति के लिए भी ठीक रहेगा।
इसलिए शिक्षा का माध्यम मातृभाषा में ही हो, ऐसा आवश्यक नहीं। कुछ राज्यों की भाषाएं केवल राज्यों तक ही सीमित होती हैं, उनका अधिक विस्तार नहीं होता। यदि वह व्यक्ति अपनी राज्य की भाषा अर्थात अपनी मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण करेगा तो केवल अपने राज्य तक ही सीमित रह जाएगा। राज्य से बाहर उसकी नौकरी की संभावनाएं खत्म हो सकती है। इसलिए अपने रोजगार की संभावनाएं बढ़ाने के लिए मातृभाषा मे शिक्षा की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए।
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https://brainly.in/question/11249386
शिक्षित युवा पीढ़ी पढ़ लिखकर विदेशों में पलायन कर रही है।
वाद विवाद- विपक्ष में
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शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए (वाद विवाद) विपक्ष में
शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए, इस बात पर आज के आधुनिक समय में विवाद किया जा सकता है। आज जब विश्व एक वैश्विक गांव में तब्दील होता जा रहा है, संस्कृतियां सिमट रही हैं। लोग एक कॉमन संस्कृति, एक कॉमन भाषा को अपनाने लगे हैं। ऐसे में शिक्षा का माध्यम मातृभाषा में आवश्यक हो यह तर्कसंगत नहीं लगता।
देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजी भाषा और राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का चलन अधिक है। ऐसे में शिक्षा के माध्यम में इन दो भाषाओं की प्रमुखता हो, वह ज्यादा उचित रहेगा। यह बात ठीक है कि कोई भी व्यक्ति अपनी मातृभाषा में अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकता है, अच्छी तरह समझ सकता है। लेकिन आरंभिक शिक्षा मातृभाषा में होने के बाद सेकेंडरी स्तर की शिक्षा एक कॉमन भाषा में होनी चाहिए।
ऐसी भाषा जो सब जगह समझाती हो ताकि व्यक्ति स्वयं को उस भाषा के अनुरूप तैयार कर ले और उसे भविष्य में रोजगार नौकरी आदि पाने में दिक्कत ना हो। क्योंकि हो सकता है उसे रोजगार नौकरी की तलाश में अपने राज्य से बाहर जाना पड़े या देश से बाहर जाना पड़े। ऐसी स्थिति में यदि वह उस भाषा में शिक्षा ग्रहण करेगा जो सबसे अधिक प्रचलन में है, सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, जिसका विस्तार ज्यादा है, तो यह व्यक्ति के लिए भी ठीक रहेगा।
इसलिए शिक्षा का माध्यम मातृभाषा में ही हो, ऐसा आवश्यक नहीं। कुछ राज्यों की भाषाएं केवल राज्यों तक ही सीमित होती हैं, उनका अधिक विस्तार नहीं होता। यदि वह व्यक्ति अपनी राज्य की भाषा अर्थात अपनी मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण करेगा तो केवल अपने राज्य तक ही सीमित रह जाएगा। राज्य से बाहर उसकी नौकरी की संभावनाएं खत्म हो सकती है। इसलिए अपने रोजगार की संभावनाएं बढ़ाने के लिए मातृभाषा मे शिक्षा की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए।
hope its help.
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