शिक्षा के प्रसार के लिए पाँच सूक्तियो की रचना कीजिए।
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जब व्यक्ति को किसी उद्देश्य स्पष्ट का ज्ञान होता है तो उसके मन में दृढ़ता तथा आत्मबल जागृत हो जाता है। इससे वह एकाग्र हो कर अपने कार्यों को पुरे उत्साह से करने लगता है। यही नहीं, उदेश्य हमें शिक्षण-पधितियों के प्रयोग करने, साधनों का चयन करने, उचित पाठ्यक्रम की रचना करने तथा परिस्थितियों के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था करने में भी सहायता प्रदान करता है। इससे व्यक्ति तथा समाज दोनों विकास की ओर अग्रसर होते रहते हैं। जिस शिक्षा का कोई उद्देश्य नहीं होता वह व्यर्थ है। ऐसी उद्देश्यविहीन शिक्षा को प्राप्त करके बालकों में उदासिनता उत्पन्न जो जाती है। परिणामस्वरूप उन्हें अपने किये हुए कार्यों में सफलता नहीं मिल पाती जिससे कार्य को आरम्भ कनरे से पूर्व बालक तथा शिक्षक दोनों को शिक्षा के उद्देश्य अथवा उद्देश्यों का स्पष्ट ज्ञान होना परम आवश्यक है। उद्देश्य के ज्ञान के बिना शिक्षक उस नाविक के समान होता है जिसे अपने लक्ष्य का ज्ञान नहीं तथा उसके विधार्थी उस पतवार-विहीन नौका का समान है जो समुद्र की लहरों के थपेड़े खाती हुई तट की ओर बढ़ती जा रही है