शिक्षक-सैनिक संवाद पर निबंध | Write an Essay on Dialogue Between a Teacher and a Soldier in Hindi
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शिक्षक-सैनिक संवाद पर निबंध | Essay on Dialogue Between a Teacher and a Soldier in Hindi!
[रेलगाड़ी के तृतीय श्रेणी के लंबे डिब्बे में पचीस पावर के बल्बों का धूमिल प्रकाश । आधी रात का समय । हवा से बातें करती ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी । दो यात्रियों डिब्बे में प्रवेश किया । एक यात्री सैनिक वेश में था और दूसरे की वेशभूषा साधारण थी । वह शिक्षक था ।]
सैनिक : (यात्रियों से) आप लोग उठकर बैठ जाइए । यह सोने का डिब्बा नहीं है ।
शिक्षक : सोते यात्रियों को न जगाइए । उन्हें विश्राम करने दीजिए । यहाँ एक यात्री के बैठने के लिए स्थान है । आप यहाँ आराम से बैठ जाइए ।
सैनिक : और आप ? क्या आप मेरे सिर पर खड़े-खड़े यात्रा करेंगे ?
शिक्षक : जी नहीं, जब तक मुझे स्थान नहीं मिलता तब तक मैं एक किनारे खड़ा रहूँगा । आपके विश्राम में बाधक नहीं बनूँगा ।
सैनिक : आप तो बहुत विनम्र मालूम होते हैं । कहाँ जाएँगे आप ?
[रेलगाड़ी के तृतीय श्रेणी के लंबे डिब्बे में पचीस पावर के बल्बों का धूमिल प्रकाश । आधी रात का समय । हवा से बातें करती ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी । दो यात्रियों डिब्बे में प्रवेश किया । एक यात्री सैनिक वेश में था और दूसरे की वेशभूषा साधारण थी । वह शिक्षक था ।]
सैनिक : (यात्रियों से) आप लोग उठकर बैठ जाइए । यह सोने का डिब्बा नहीं है ।
शिक्षक : सोते यात्रियों को न जगाइए । उन्हें विश्राम करने दीजिए । यहाँ एक यात्री के बैठने के लिए स्थान है । आप यहाँ आराम से बैठ जाइए ।
सैनिक : और आप ? क्या आप मेरे सिर पर खड़े-खड़े यात्रा करेंगे ?
शिक्षक : जी नहीं, जब तक मुझे स्थान नहीं मिलता तब तक मैं एक किनारे खड़ा रहूँगा । आपके विश्राम में बाधक नहीं बनूँगा ।
सैनिक : आप तो बहुत विनम्र मालूम होते हैं । कहाँ जाएँगे आप ?
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