शॉक थेरेपी की सर्वोपरि मान्यता क्या थी
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‘शॉक थेरेपी’ की सर्वोपरि मान्यता यह थी कि मिल्कियत का सबसे प्रभावी रूप निजी स्वामित्व वाला होगा। इस थेरेपी में राज्य की संपदा के निजी करण और व्यावसायिक स्वामित्व के ढांचे को अपनाने की बात शामिल थी।
‘शॉक थेरेपी’ विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित एक मॉडल था, जिसे ‘शॉक थेरेपी’ नाम दिया गया था। जिसका अर्थ होता है ‘आघात पहुंचा कर उपचार करना’।
इस थेरेपी के अंतर्गत रूस, मध्य एशिया के देशों और पूर्वी यूरोप के देशों में पूंजीवाद की ओर संक्रमण का एक खास मॉडल अपनाया गया। यह खास मॉडल सोवियत संघ के विघटन के बाद सोवियत संघ से अलग हुए पूर्ववर्ती ‘दूसरी दुनिया’ के देशों में दी जाने वाली एक थेरेपी थी। यह थेरेपी इन देशों को समाजवाद से पूंजीवाद की ओर बढ़ाने का एक मॉडल थी।
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शॉक थेरेपी की सर्वोपरि मान्यता क्या थी