History, asked by jaibunnisha81, 7 months ago

शिखर को नीव बनने में भी हैं। गजलकार कहता बड़ी
इमारत देखने में तो बहुत सुंदर दिखती है, लेकिन उसकी
बुनियाद नोव के पत्थरों पर हिको होती है। अतः हमें भी
सदैव नोव का वह मजबूत पत्थर अर्थात आधार खगगा
चाहिए जो कइयों को ऊँचाई तक पहुँचा सके। गजलकार
कहता है कि जिस प्रकार हवा के झोंकों के साथ एक बार
गर्द अर्थात धूल चल पड़ती है, तो धीरे-धीरे वह पूरे
आसमान पर छा जाती है। उसी प्रकार हम भी अपने मन में
जब कोई संकल्प ठान लें, तो अपने उद्देश्य में सफल होने
तक हमें चलते रहना चाहिए।​

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Answered by Anonymous
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Nyc mate❤❤............

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