India Languages, asked by MADANLAL826, 10 months ago

श्लोकान्वयं पूरयत-
(क) असौ मया हतः शत्रुर्हनिष्ये चापरानपि।
ईश्वरोऽहमहं भोगी सिद्धोऽहं बलवान सुखी
अन्वयः- मया...............शत्रु: हतः, अपरान्................... हनिष्ये, अहम
.................अहं भोगी, अहं सिद्धः,.........., सुखी।

Answers

Answered by coolthakursaini36
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श्लोकान्वयं पूरयत-

(क) असौ मया हतः शत्रुर्हनिष्ये चापरानपि।

ईश्वरोऽहमहं भोगी सिद्धोऽहं बलवान सुखी

अन्वयः- मया....... असौ........शत्रु: हतः, अपरान्.......अपि............ हनिष्ये, अहम

.......ईश्वर:..........अहं भोगी, अहं सिद्धः,.... बलवान......, सुखी।

Answered by JackelineCasarez
0

श्लोकान्वयं पूरयत:

अन्वयः- मया असौ शत्रु: हतः, अपरान् अपि हनिष्ये, अहम

ईश्वर: अहं भोगी, अहं सिद्धः बलवान सुखी।

Explanation:

मूल श्लोकः

"असौ मया हतः शत्रुर्हनिष्ये चापरानपि।

ईश्वरोऽहमहं भोगी सिद्धोऽहं बलवान सुखी"

भावार्थ:

अमुक देवदत्त नाम का दुष्ट शत्रु मेरे द्वारा मारा गया है? अब मैं अन्य पामर के कमजोर दुश्मनों को भी मार दूंगा? यह बेचारा गरीब मेरे साथ क्या करेगा जो किसी भी तरह से मेरे जैसा नहीं है। मैं भगवान हूँ क्या तुम्हें मज़ा आया है? मैं सभी मामलों में परिपूर्ण हूं और मैं बेटे और बेटियों से भरा हूं। क्या मैं अकेला व्यक्ति नहीं हूँ? मैं बल्कि मजबूत और खुश हूँ? अन्य सभी ने भूमि पर भार के रूप में जन्म लिया है।

Learn more: श्लोकः

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