शैला और भूप ने मिलकर किस तरह पहाड़ पर अपनी मेहनत से नयी ज़िंदगी की कहानी लिखी?
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भूप ने सबसे पहले वह मलबा हटाया, जो भूखलन के कारण आया था। शैला और भूप दोनों ने मिलकर खेतों को ढलवा बनाया ताकि बर्फ उसमें अधिक समय तक जम न पाए। जब खेत तैयार हो गए, तो उनके सामने पानी की समस्या आई। अतः उन्होंने झरने का रुख मोड़ने की सोची। इस तरह से उनके खेतों में पानी की समस्या हल हो सकती थी। फिर समस्या आई कि गिरते पानी से पहाड़ को कैसे काटा जाए। यह बहते पानी में संभव नहीं था। क्वार के मौसम में उन्होंने अपनी समस्या का हल पाया और उन्होंने पहाड़ को काटना आरंभ किया। इस मौसम में झरना जम जाता था और सुबह धूप के कारण धीरे-धीरे पिघता था। इस स्थिति में सरलतापूर्वक काम किया जा सकता था। अंत में सफलता पा ही ली और झरने का रुख खेतों की ओर किया जा सका। सर्दियों के समय में झरना जम जाता था, तो वे उसे आग की गर्मी से पिघला देते और खेतों में पानी का इतंज़ाम करते। इस तरह उन्होंने अपनी मेहनत से नयी ज़िंदगी की कहानी लिखी।
Explanation:
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‘आरोहण’ कहानी में शैला और भूप ने पहाड़ पर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए अपनी मेहनत से अनेक तरह के प्रयास किए। भूप ने सबसे पहले भूस्खलन के कारण जमा हुए मलबे को हटाया। फिर शैला और भूप दोनों ने मिलकर अपने खेतों को ढलवां बनाया, जिससे बर्फबारी होने की स्थिति में उनके खेतों में बर्फ ज्यादा समय तक ना ठहर पाए। जब उनके खेत पूरी तरह बनकर तैयार हो गए तो अब उनके सामने खेतों की सिंचाई करने के लिए पानी की समस्या उत्पन्न हो गई। इसके लिए उन्होंने एक उपाय सोचा और झरने का रूख अपने खेत की ओर मोड़ने का प्रयास आरंभ कर दिया। इससे उनके खेतों में पानी की समस्या का निराकरण हो सकता था। क्वार के महीने में उन्होंने पहाड़ को काटना आरंभ कर दिया और इस मौसम में ठंड अधिक होने के कारण झरना जम जाता था और सुबह की हल्की-हल्की धूप में धीरे-धीरे पिघलता था। जिस कारण पहाड़ काटने का कार्य आसानी से चलता रहता था। कड़ी मेहनत करने के पश्चात उन दोनों ने पहाड़ को काटने में सफलता प्राप्त कर ली और झरने का रूख अपने खेतों की ओर मोड़ दिया। अत्याधिक सर्दियों के मौसम में जब झरना जम जाता तो वह आग से बर्फ को पिघलाकर अपने खेतों में पानी पहुंचने का इंतजाम करते थे। उन्होंने अपने अथक परिश्रम से अपनी जिंदगी की नई कहानी लिखी।