शिल्प सौंदर्य यानी काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
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हिंदू कहें मोहि राम पियारा तुर्क कहें रहिमाना
आपस में दोऊ लरि-लरि मुए, मर्म ना काहू जाना
शिल्प सौंदर्य : इन पंक्तियों का काव्य सौंदर्य यानी शिल्प सौंदर्य इस प्रकार है...
- कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से आत्मबल पर जोर दिया है और बाहरी आडंबरों को निरर्थक बताया है।
- हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों की धर्मांधता पर कटाक्ष-व्यंग्य किया है।
- पंक्तियों में ‘लरि-लरि’ शब्द में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार की छटा मिलती है।
- काव्य पंक्ति में आम बोलचाल की सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है।
- भाषा में व्यंगात्मकता निहित है। पूरे पद में गेयता एवं संगीतात्मकता है।
- रस की दृष्टि से काव्य पंक्ति में शांत रस प्रकट हो रहा है और प्रसाद गुण विद्यमान है।
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