‘ शाम एक किसान’ कविता में कवि ने किस ऋतु की शाम का वर्णन किया है ?
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शाम एक किसान’ कविता में कवि ने शीत ऋतु की शाम का वर्णन किया है ।
- " शाम एक किसान " कविता में कवि ने शाम के वक्त जाड़े के मौसम का वर्णन किया है। कवि ने प्रकृति के सौंदर्य का वर्णन किया है।
- शाम को किसान के रूप में दर्शाया है। किसान घुटने टेक कर बैठा है , उसके सर पर साफा बंधा हुआ है। सूरज को चिलम की उपमा दी गई है।
- कवि कहते है कि अंधेरा फ़ैल रहा है, दूर फैला अंधकार भेड़ों के झुंड जैसा दिखाई देता है।
- कवि ने पलाश में जंगलों को अंगीठी बताया है क्योंकि पलाश के लाल रंग के फूल आग की तरह प्रतीत हो रहे है।
- मोर की आवाज से किसान हड़बड़ा जाता है तथा चिलम उलट जाती है अर्थात सूरज डूबने लगता है व रात हो जाती है।
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