शिमला के यात्रा का बर्णन
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चर्च…शिमला की पह्चान -
रिज से ही एक रास्ता लक्कड़ बाज़ार तथा लोअर बाज़ार की ओर जाता है, हम लक्कड़ बाज़ार की ओर चल दिए, लक्कड़ बाज़ार पहुंचे तो निराशा ही हाथ लगी, कुछ दुकानें बंद हो चुकी थीं और कुछ बंद होने की तैयारी में थीं, खैर हम लोग वापस होटल के लिए चल पड़े. रास्ते में माल रोड़ पर एक पहाड़ी फ़ल बेचने वाला बैठा था, उन फ़लों को देखने की उत्सुकता लिए हम लोग भी उसके पास खड़े हो गए और भाव पुछने लगे. चेरी, फ़ालसे, प्लम, एप्रिकोट आदी फ़ल थे. हमने एक किलो का चेरी का पेकेट लिया और कुछ फ़ालसे लिए. ये फ़ल मैने पहले कभी नहीं खाए थे, बाकी सब तो ठीक ठाक लगे लेकिन फ़ालसे हम सबको इतने अच्छे लगे की अगले दिन शाम तक हम उन्हे औरे शिमला में ढुंढते रहे लेकिन वे हमें नहीं मिले.
होटल के कमरे में सुबह सुबह….
काली बाड़ी मंदीर से शिमला के नज़ारे
कुछ देर मंदिर में रुककर हम होटल लौट आए, गेट पर ही हमारी गाड़ी तैयार खड़ी थी. आज रात को ही हमें मनाली के लिए निकलना था और मैने अब तक बस की टिकट बुक नहीं कराई थी अत: मैने टैक्सी वाले से कहा की भाई सबसे पहले हमें हिमाचल सड़क निगम (एच.आर.टी.सी.) के औफ़िस ले चलो, वहां पहुंच कर मैने अपनी टिकटें रात वाली बस की करवाईं जो की आसानी से मिल गईं.
टैक्सी तैयार है…
अब हमने अपने आप को टैक्सी वाले के हवाले कर दिया. उसने हमें बताया की सबसे पहले वो हमें संकट मोचन हनुमान मंदिर लेकर जाएगा उसके बाद वाईसरिगल लौज (राष्ट्रपति भवन), जाखु मंदिर, और अंत में कुफ़री. तो इस तरह हमारा शिमला का टूर प्रारंभ हुआ. शिमला के प्राक्रतिक नजारों का आनंद उठाते हुए हम संकट मोचन हनुमान मंदिर पहुंच गए. ये एक पहाड़ी पर बसा बहुत ही आकर्षक मंदिर है, यहां से भी चारों ओर शिमला की वादियों को निहारा जा सकता है. यहां पर गर्मागर्म हलवे का प्रसाद बंट रहा था सो हमने भी खाया.
वाइस रिगल लौज
अब हमारा अगला डेस्टिनेशन था कुफ़री, जो की शिमला से करीब 14 किलोमीटर की दुरी पर स्थित एक अन्य हिल स्टेशन है, अब हम कुफ़री की ओर बढ चले. घुमावदार रास्तों पर हमारी कार लगातार चढाई पर चढती जा रही थी. रास्ते में एक जगह ड्राईवर ने गाड़ी रोकी और बताया की इस जगह को ग्रीन वैली कहते हैं, देखने लायक है, खिड़की से देखा तो और भी बहुत सी गाड़ीयां यहां रुकी हुईं थी और बहुत सारे पर्यटक छायाचित्रकारी में संलग्न थे, हम भी उतर आए. निचे वैली में झांककर देखा तो पाया की सचमुच बहुत सुंदर जगह है, दूर दूर तक हरे पेड़ों से ढकी घाटीयां इस स्थान को एक अप्रतिम सौंदर्य प्रदान करती हैं. खैर, कुछ देर रुकने के बाद हम फ़िर से कुफ़री की ओर बढ चले.ĺ
ग्रीन वैली
यात्रा से पहले इंटरनेट पर कुफ़री के बारे में खूब पढा था, लेकिन वहां पहुंच कर ऐसा लगा की कुफ़री जाना समय तथा पैसे दोनों की बर्बादी है. कुफ़री के टैक्सी स्टेंड पर ले जाकर हमारे ड्राइवर ने हमें उतार कर गाड़ी पार्क कर दी और हमें जानकारी दी की अब आगे आपको घोड़ों पर बैठकर जाना होगा. घोड़े वाले से भाव पुछा तो उसने बताया एक व्यक्ति का 280 रु. और आपको चार घोड़े लेने पड़ेंगे, मैने घोड़ेवाले से पुछा की भाई आखिर वहां है क्या? लेकिन वो मुझे कोई ढंग का जवाब नहीं दे पाया, फ़िर मैने अपनी गाड़ी के ड्राईवर से यही सवाल किया तो वो कुछ ठीक से नहीं बता पा रहा था. फ़िर मैने कुछ लोगों को घोड़ों की सवारी से लौट कर आते देखा, उनके चेहरों से साफ़ जाहिर था की उन्हें इस सफ़र में परेशानियों और थकान के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ, असंतुष्टी के भाव उनके चेहरों पर स्पष्ट रुप से देखे जा सकते थे, इतने से भी संतुष्टी नहीं हुई तो मैनें एक घोड़े से उतरे पर्यटक से पुछ ही लिया, भैया कैसा लगा वहां जाकर? उसने जो बताया उससे मुझे पुर्ण संतुष्टी हो गई, उसने बताया, भाई साहब कोई मतलब वाली बात नहीं है, वापस लौट जाओ. बस मुझे और कुछ नहीं सोचना था, कविता और बच्चों ने भी कोई जिद नहीं की.
कुफ़री में घोड़े
वहीं एक खोमचे से बर्गर का देसी संस्करण खाया, और एक दुसरे खोमचे से राजमा चावल उदरस्थ किए और खोमचे वाले से पुछा और आस पास क्या देखने लायक है? उसने बताया पास ही में चिड़ियाघर है, कुछ देर पैदल चलकर वहां पहुंच गए, चिड़ियाघर भी बकवास था पुरे चिड़ियाघर में सिर्फ़ दो भालु और कुछ मुर्गे दिखाई दिए, बेकार में पैरों की मशक्कत हो गई और बच्चे भी थक गए. कविता हम चारों में समझदार निकली उसने तो आधे रास्ते से ही अपने कदम वापस मोड़ लिए और हमसे कहा की मैं चिड़ियाघर के औफ़िस में आप लोगों का इंतज़ार करती हुं.अब हम अपने अंतिम पड़ाव यानी जाखु हमुमान मंदिर की ओर चल दिए. जाखु मंदिर शिमला की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है तथा भगवान हनुमान को समर्पित है. यह मंदिर बहुत सुंदर है तथा यहां से चारों ओर शिमला शहर का संपुर्ण विस्तार देखा जा सकता है. जाखु मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बहुत ही खतरनाक है, इस रास्ते पर यहां के ड्राईवरों के कौशल का पता चलता है. इस मंदिर के मार्ग में तथा मंदिर परिसर में बंदर बहुत अधिक संख्या में पाए जाते हैं, मंदिर परिसर में हनुमान जी की एक अति विशाल प्रतिमा है जो अपने आकार के कारण पुरे शिमला से दिखाई देती है. आगे कुली और पिछे पिछे हम माल रोड़ पर आगे बढे जा रहे थे, हमें शिमला ऐसा लग रहा था जैसे हम किसी अलग ही दुनिया में आ गए हों, खैर 24 घंटे के लंबे सफ़र के बाद अब थकान भी होटल पहुंचकर नहाएंगे और कुछ देर आराम करेंगे….
शिमला पहाड़ी स्टेशन अभी भी औपनिवेशिक ग्रीष्मकालीन राजधानी (सहारा) है, जहां अंग्रेजों ने पीछे हटने के लिए इस्तेमाल किया था जब इंडिओ-गंगा मैदानों की गर्मी असहनीय हो गई थी। वाइस रीगल लॉज या ग्रेती थिएटर के ग्रे-स्टोन का काम नव-गॉथिक वास्तुकला के उत्कृष्टता को बनाए रखना, इमारत की खूबसूरती जीवित आती है और केवल देखने वाले की आंखों में नहीं रहती है अलिज़बेटन शैली मिश्रित और अन्य विभिन्न रूपों के साथ विलय कर ली गई है जैसे एल्सली, क्राइस्ट चर्च, ग्रॉर्टन कैसल, लकड़ी विले आदि। Also Visit – Himachal Pradesh Tours
उस अतीत की आत्माएं भारत और साथ ही विदेशों से उत्साही लोगों को आकर्षित करती हैं जब भारत में स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद इस पहाड़ी शहर को हिमाचल प्रदेश की राजधानी बना दिया गया है। हालांकि, शिमला में आने का एकमात्र कारण यह नहीं है। स्नो ड्रेपर्ड पर्वत चोटियों की चिकना ढलान स्कीयरों को आत्मा या पेशे से पूर्ण निमंत्रण देते हैं। डेरा डाले हुए और ट्रेकिंग यात्रा करते समय, योग को सूर्य के जागने की हल्की किरणों का सामना करना पड़ता है, अन्य कारण हो सकता है। और यह सूची बहुत दूर जाने के लिए निश्चित है, जब पर्यटकों को यह पता चल जाता है कि शिमला में सबसे अच्छा समय बनाने के लिए वे क्या कर सकते थे।