Hindi, asked by sujitakumari945, 4 months ago


श्न-महाकवि सूरदास द्वारा रचित 'विनय-पद' की विवेचना कीजिए।

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Answered by anushaagarwal45
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Answer:

दीक्षा से पूर्व वह विनय के पद लिखा करते थे। ... सदगुरु बल्लभाचार्य में उनकी आस्था थी, जिसका प्रमाण उनके द्वारा रचित पद 'भरोसौ दृण इन चरणन केरौ' में मिलता है। सूरदास जी रोजाना प्रभु की श्रृंगार सेवा में उपस्थित रहते थे। भगवान का जैसा शृंगार होता था, उसी का वर्णन वह पदों के माध्यम से करते थे।

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