श्री कृष्ण की बांसुरी की मधुर ध्वनि का जो प्रभाव गोपियों पर पड़ता है उसका चित्रण रसखान ने किस प्रकार किया है ?
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Answer:
सवैये (रसखान)
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।
आठहुँ सिधि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चेराइ बिसारौं।।
रसखान कबौं इन आँखिन सौं, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं।
कोटिक ए कलधीत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।।
कवि श्री कृष्ण का सानिध्य पाने के लिए किन-किन भौतिक सुखों का त्याग करने को तैयार है?
कवि ब्रज के बन-बाग और तालाब क्यों देखना चाहता है?
काव्यांश से कवि के बारे में क्या पता चलता है?
ब्रजभूमि के प्रति कवि रसखान का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?
भाव स्पष्ट कीजिए- माइ री या मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैह।
गोपी कृष्ण की मुरली को होंठों पर क्यों नहीं रखना चाहती है?
गोपी कानों में उँगली क्यों रखना चाहती है?
श्रीकृष्ण की मुरली की धुन सुनकर तथा उनकी मुस्कान से गोपियों की मनोदशा कैसी हो जाती है?
सवैये (रसखान)
Answer
कवि श्रीकृष्ण का सान्निध्य पाने के लिए नाना प्रकार की सुख-सुविधाएँ त्यागने को तैयार है। वह तीनों लोकों के साम्राज्य का सुख, आठों सिद्धियों तथा नौ निधियों के वैभव तथा करोड़ों सोने के महलों का सुख त्यागने को तैयार हैं।
कवि को कृष्ण और उनसे जुड़ी हर वस्तु से विशेष लगाव है। उन वस्तुओं से कृष्ण की यादें जुड़ी हुई हैं। ऐसी वस्तुओं को देखने, छूने से कवि को कृष्ण की निकटता का अनुभव होता है , इसलिए वह ब्रज के वन-बाग और तालाब देखना चाहता है।
काव्यांश से कवि के बारे में पता चलता है कि वे श्री कृष्ण के अनन्य भक्त हैं और कृष्ण से जुड़ी प्रत्येक वस्तु उन्हें कृष्ण की समीपता का अहसास कराती हैं |
कवि श्रीकृष्ण की रासलीला भूमि ब्रज के प्रति अपना प्रेम निम्नलिखित रूपों में अभिव्यक्त करता है –
कवि अगले जन्म में मनुष्य रूप में जन्म लेकर ब्रज में ग्वाल-बालों के बीच बसना चाहता है।
वह पशु के रूप में जन्म मिलने पर नंद बाबा की गायों के मध्य चरना चाहता है।
वह उसी गोवर्धन पर्वत का हिस्सा बनना चाहता है, जिसे श्रीकृष्ण ने अपनी उँगली पर उठाया था।
वह पक्षी बनकर उसी कदंब के पेड़ पर बसेरा बनाना चाहता था, जहाँ कृष्ण रास रचाया करते थे।
कवि ब्रज के वन, बाग और तड़ाग (तालाब) का सौंदर्य देखते रहना चाहता है।
गोपी को श्रीकृष्ण की मुस्कान इतनी सुंदर लगती है कि इसे देखकर वह अपना होश-हवास खोकर विवश हो जाती है और स्वयं को सँभाल नहीं पाती है। वह श्रीकृष्ण के प्रति पूर्णतया समर्पित हो जाती है।
गोपी को महसूस होता है कि उसके और कृष्ण के बीच मुरली ही बाधक है। इस मुरली के कारण ही वह कृष्ण को सामीप्य पाने से वंचित रह जाती है। वह सोचती है कि कृष्ण उससे ज्यादा मुरली को चाहते हैं। यह मुरली ही कृष्ण और उसके बीच दूरी को कारण है।
गोपी कानों में उँगली इसलिए रखना चाहती है क्योंकि जब कृष्ण मंद एवं मधुर स्वर में मुरली बजाएँ तथा ऊँची अटारियों पर चढ़कर गोधन गाएँ तो उनका मधुर स्वर उसके कानों में न पड़े तथा गोपी इस स्वर के प्रभाव में आकर कृष्ण के वश में न हो सके।
श्रीकृष्ण की मुरली की ध्वनि मादक तथा मधुर है जो सुनने में अत्यंत कर्णप्रिय लगती है। इसके अलावा श्रीकृष्ण की मुस्कान ब्रजवासियों तथा गोपियों को विवश कर देती है। गोपियाँ श्रीकृष्ण के सौंदर्य पर मोहित हैं। श्रीकृष्ण के गाए गए गोधन को भी वह अनसुना कर देंगी पर श्रीकृष्ण की मादक मुस्कान देखकर वे अपने आपको संभाल नहीं पाएँगी। वे श्रीकृष्ण की उस मुसकान के आगे स्वयं को विवश पाती हैं तथा उनकी ओर खिंची चली जाती हैं
Explanation:
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