श्रीकृष्ण की भक्ति में रसखान ने क्यों अपना सारा कुछ निछावर कर दिया
Answers
Answer:
रसखान (जन्म: १५४८ ई) कृष्ण भक्त मुस्लिम कवि थे। [1]उनका जन्म पिहानी, भारत में हुआ था। हिन्दी के कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन रीतिमुक्त कवियों में रसखान का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। वे विट्ठलनाथ के शिष्य थे एवं वल्लभ संप्रदाय के सदस्य थे। रसखान को 'रस की खान' कहा गया है। इनके काव्य में भक्ति, शृंगार रस दोनों प्रधानता से मिलते हैं। रसखान कृष्ण भक्त हैं और उनके सगुण और निर्गुण निराकार रूप दोनों के प्रति श्रद्धावनत हैं। रसखान के सगुण कृष्ण वे सारी लीलाएं करते हैं, जो कृष्ण लीला में प्रचलित रही हैं। यथा- बाललीला, रासलीला, फागलीला, कुंजलीला, प्रेम वाटिका, सुजान रसखान आदि। उन्होंने अपने काव्य की सीमित परिधि में इन असीमित लीलाओं को बखूबी बाँधा है। मथुरा जिले में महाबन में इनकी समाधि हैं|
श्री कृष्ण की भक्ति पर रसखान अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हैं क्योंकि कृष्ण के प्रति उनका प्रेम अलौकिक है , जिसका मुकाबला दुनिया की कोई भी वस्तु नहीं कर सकती I सांसारिक वस्तुएं नष्ट हो जाएँगी , लेकिन कृष्ण के प्रति उनका अलौकिक प्रेम हमेशा रहेगा I