श्रीकृष्ण के प्रती मेर की अधीर्ता को किस प्रकार व्यक्त किया गया है
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मीरा ने अपने पदों में अपने आराध्य देव के प्रति अनन्य भक्ति-भाव को व्यक्त किया है |उनके गिरधर गोपाल हमेशा अपने भक्तों पर दया-भाव रखते हैं| मीरा भी इसी दया –भाव को पाने की आकांक्षा रखती हैं इसलिए वे दासी बनने को भी तैयार हैं|श्रीकृष्ण के रूप –माधुर्य का वर्णन करते हुए वे भाव-विभोर हो जाती हैं| उन्होंने अपने पदों में कृष्ण से मिलने की अधीरता को व्यक्त किया है जो भक्त की स्थिति को दर्शाती है |
मीरा ऊँचे-ऊँचे महलों और बीच-बीच में बगिया की कल्पना इसलिए करती हैं ,क्योंकि वृन्दावन में कृष्ण का भव्य और ऊँचा महल है|वह इस महल के बीचों –बीच सुंदर फूलों से सजी फुलवारी बनाना चाहती हैं ,ताकि जब कृष्ण वहाँ आएँ तो इन फूलों से सजी फुलवारी को देखकर खुश हो जाएँ और मीरा उनके इस मोहित कर देने वाले रूप के दर्शन कर सकें
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